पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भले ही एनडीए को जीत मिली हो और नीतीश कुमार सीएम बने हों, लेकिन उनकी पार्टी जदयू ने अपने बुरे प्रदर्शन को गंभीरता से लिया है. दरअसल, बिहार में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी रही थी. ऐसे में अब जदयू ने बिहार में यात्रा निकालने का फैसला किया है. हालांकि, जदयू ने ये रणनीति ऐसे वक्त पर बनाई है, जब हाल ही में प्रशांत किशोर ने बिहार में 3000 किमी की पदयात्रा निकालने का फैसला किया है.
दरअसल, जदयू के वरिष्ठ नेता बिहार की यात्रा करेंगे और संगठन को जमीन पर मजबूत करने की कवायद शुरू करेंगे. साथ ही पार्टी की जमीनी हालत का भी पता लगाएंगे. पार्टी के वरिष्ठ नेता बिहार के गांवों में जमीनी दौरा करेंगे और पार्टी को शीर्ष तक पहुंचाने के लिए हर वो कोशिश करेंगे, जो करना पड़ेगा.
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा इन दिनों पार्टी के मसलों को लेकर काफी गंभीर दिख रहे हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमलोग 2020 के परिणाम को भूले नहीं हैं. हम बहुत जल्द उसके भीतर पहुंचकर चीजों को सामने लाएंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों है. हम उस दौरान खुद को कमजोर नहीं देखना चाहते हैं. संगठन की जमीन पर सच्चाई क्या है? इसके लिए जदयू के वरिष्ठ नेता बिहार दौरे पर निकलेंगे और जमीनी हकीकत से पार्टी को अवगत कराएंगे.
जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी संगठन के अंदर बहुत से सियासी पद खाली हैं. उन्हें जल्दी भरा जाएगा. उसके बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के साथ खुद मैं प्रदेश की यात्रा पर निकलूंगा. सभी जिलों में कार्यकर्ता सम्मेलन किया जाएगा और जिला प्रभारी के साथ उस इलाके के विधायक और संगठन से जुड़े लोगों को साथ रखा जाएगा. इस दौरान कार्यकर्ताओं को पार्टी को मजबूत बनाने के लिए विशेष सुझाव और ट्रेनिंग भी दी जाएगी. प्रदेश अध्यक्ष के इस बयान के बाद कहा जाने लगा है कि प्रशांत किशोर के बिहार की राजनीति में उतरने का असर जदयू पर सबसे पहले दिखने लगा है. जानकार मानते हैं कि जदयू के एक्टिव होने के पीछे प्रशांत किशोर ही मुख्य कारण हैं.
पार्टी सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि जदयू का शीर्ष नेतृत्व बहुत जल्द मई या जून की शुरुआत में बिहार के दौरे पर निकलेंगे. पार्टी की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव और बिहार में किसी और दल की एंट्री से पहले अपनी जमीन को मजबूत कर लिया जाए. इसके लिए कई स्तरों पर बैठकों का आयोजन होगा और बिहार के गांव में जाकर पार्टी अपनी खोई हुई जमीन तलाशेगी. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रशांत किशोर के बयान को हवा हवाई बता चुके हैं. लेकिन पार्टी की ओर से बिहार भ्रमण को प्रशांत किशोर के तीन हजार किलोमीटर यात्रा की घोषणा से जोड़कर देखा जा रहा है.