नई दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में हुए लंबे आंदोलन, नए कृषि कानूनों की वापसी, उत्तर प्रदेश और पंजाब के विधानसभा चुनाव के बाद संयुक्त किसान मोर्चा एक तरह से शांत चल रहा था. संयुक्त किसान मोर्चा अब फिर से अपनी गतिविधियां तेज करने की योजना बना रहा है. किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा फिर से आंदोलन की तैयारी में है.
आने वाले समय में आंदोलन की रुपरेखा क्या होगी, इसे लेकर मंथन के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने 3 जुलाई को गाजियाबाद में बैठक बुलाई है. इस बैठक में मोर्चा से जुड़े वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता इस बात पर मंथन करेंगे आने वाले समय में किसानों से जुड़ी समस्याओं को सरकार के सामने किस तरह से उठाया जाए और इनका निराकरण कराया जाए.
गौरतलब है कि दिसंबर में एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन के खत्म होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की गतिविधियां लगभग ठप रही हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन के बाद नए कानूनों की वापसी के बाद सरकार की ओर से ये भी कहा गया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी देने पर भी विचार किया जाएगा.
सरकार की ओर से तब ये भी कहा गया था कि एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए जो कमेटी बनाई जाएगी, उसमें किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा. तब से अब तक सरकार ने भी इस दिशा में कुछ खास पहल नहीं की है. गाजियाबाद की बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी अब एमएसपी को लेकर आंदोलन की रणनीति पर मंथन कर सकते हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के एजेंडे में उन संगठनों की मोर्चा में वापसी भी शामिल है जो पंजाब चुनाव के समय अलग हो गए थे. गौरतलब है कि पंजाब चुनाव के समय कम से कम 30 से अधिक संगठनों ने अलग मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा था. संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता और भारतीय किसान संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इसे लेकर कहा कि जिन्होंने चुनाव के समय अपने संगठन को हमसे अलग किया था, उनमें से 16 जत्थेबंदियों को रविवार की बैठक में दोबारा संयुक्त किसान मोर्चा में लाने का प्रस्ताव है.
उन्होंने कहा कि ये ऐसे संगठन हैं जिन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा बल्कि सिर्फ चुनाव लड़ने वालों का समर्थन किया. इन सबके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा इसे लेकर भी विचार कर रहा है कि जो संगठन इसमें शामिल होते हैं, उनके लिए क्या नियम हों. 3 जुलाई की बैठक में एसकेएम की एक कमेटी बनाने का भी प्रस्ताव है जो इस मोर्चा से जुड़े लोगों और किसान संगठनों के लिए नियम-कायदे निर्धारित करेगी. राकेश टिकैत ने ये भी साफ किया कि आने वाले दिनों में किसी भी संगठन और व्यक्ति के खिलाफ इन नियमों के तहत ही कार्रवाई की जाएगी.