केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला, 11वीं और 12वीं के छात्रों को देगी इतने हजार रुपये

Update: 2021-09-06 16:13 GMT

नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार (kejriwal Governmet) दिल्ली के छात्रों (Students) में अब उद्यमी बनने के गुण विकसित करेगी. दिल्ली के सरकारी स्कूलों (Government School) में मंगलवार को एंटरप्रेन्योरशिप (Entrepreneurs) माइंडसेट करिकुलम के तहत बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम‌ लॉन्च किया जाएगा. केजरीवाल सरकार अब दिल्ली के स्कूलों में 11वीं-12वीं के हर बच्चे को 2 हजार रुपये सीड मनी देगी. दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद करीब 3.5 लाख छात्रों को इसका लाभ मिलेगा. दिल्ली के शिक्षा मंत्री और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में टैलेंट की कोई कमी नहीं है. केवल राह दिखाने मात्र से वे एक सफल एंटरप्रेन्योर बन सकते हैं. सिसोदिया ने कहा कि आज देश में बेरोजगारी की जो समस्या है उसका एकमात्र उपाय एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम है. दिल्ली के बच्चे एंट्रेप्रेंयूरिअल माइंडसेट के साथ अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब सीकर के बजाय जॉब प्रोवाइडर बनकर इस समस्या को दूर करेंगे.

मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 2019 में दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की थी. इसके पीछे मकसद था कि स्कूलों और कॉलेजों से पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र इस मानसिकता से बाहर निकले कि उन्हें जॉब सीकर नहीं बल्कि जॉब प्रोवाइडर बनना है. देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देना है. यदि वे जॉब करने जाएं तो उनमे इतनी योग्यता हो की उन्हें नौकरी की लाइन में न लगना पड़े बल्कि नौकरी उनके पास आए. इसके बाद पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस खिचड़ीपुर में बिज़नेस ब्लास्टरर्स प्रोग्राम शुरू हुआ. इसका मकसद बच्चों में ये विश्वास जगाना था कि वे जो भी काम करे एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट के साथ करें. इसमें 41 बच्चों के 9 ग्रुप बने और हर बच्चे को 1-1 हज़ार रुपये की सीड मनी दी गई और इन बच्चों ने जमकर मुनाफा कमाया.

एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए सिसोदिया ने कहा कि ईएमसी का सबसे महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट सीड मनी प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य बच्चों को निवेश करने, उनके अंदर से बिजनेस शुरू करने का डर निकालने और प्रॉफिट कमाने के लिए तैयार करना है. सबसे महत्वपूर्ण बात कि यदि वे प्रॉफिट नहीं भी कमाते हैं तो वे अपने फेलियर का सामना करना सीखें. उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण इस प्रोजेक्ट में कई अड़चने आई लेकिन जनवरी में स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस खिचड़ीपुर के एक स्कूल में इसका पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया. यहां बच्चों ने 9 ग्रुप बनाए और अपने विभिन्न प्रोजेक्ट्स में निवेश करना शुरू किया. आज ये सभी प्रोजेक्ट प्रॉफिट में चल रहे हैं.

Tags:    

Similar News

-->