भारत में कोरोना का बड़ा अटैक, देर रात तक जल रही है लाशें, ओवरटाइम करने पर मजबूर हुए श्मशान घाट के सेवादार

Update: 2021-04-16 06:16 GMT

कोरोना वायरस का खतरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. अस्पताल से लेकर श्मशान घाट तक भयावह स्थिति बनी हुई है. इंदौर के मुक्ति धाम में कोरोना से मरने वाले शवों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. जिसकी वजह से दाह संस्कार करने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

शवों के लगातार आने की वजह से सूर्यास्त के बाद रात 10 बजे तक अंतिम संस्कार का काम चल रहा है. मरीजों को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहे हैं. जिसकी वजह से लोगों का इलाज नहीं हो पा रहा है और मरने वालों की संख्या में बढ़ती जा रही है.
श्मशान घाट पर काम करने वाले लोगों का कहना है कि लाशों का आना रुक नहीं रहा है. इंदौर के पंचकुइयां मुक्तिधाम में औसत 10 से 12 कोविड मरीजो का दाह संस्कार किया जा रहा है. बुधवार को 40 से 45 कोविड व सामान्य मौत का दाह संस्कार किया गया. वहीं गुरुवार दोपहर तक 10 कोविड से हुईं मौत और 7 सामान्य मौत के शव आए.
इंदौर के रीजनल पार्क मुक्ति धाम में गुरुवार को 32 लाशें आई. जिसमें 21 लाशें कोविड पेशेंट की थी. आलम ये है कि श्मशान घाट पर काम करने वाले कर्चमारी भी अब बीमार पड़ने लगे हैं. रिजनल पार्क मुक्तिधाम के दो सेवादार घर चले गए हैं. जबकि रामबाग मुक्तिधाम के सेवादार ने बुखार और हाथ-पैर में दर्द के कारण छुट्टी ले ली. रोजाना मुक्ति धाम में कोरोना से मारने वालों के शव आ रहे हैं और कई जगह तो बल्क में लाशें जल रही हैं. रीति रिवाज तो छोड़िए सूर्यास्त के बाद रात 9 बजे, 10 बजे तक लाशों का अंतिम संस्कार हो रहा है. इंदौरे के ज्यादातर मुक्ति धामों का ऐसा ही हाल है.
पिछले 40 साल से श्मशान घाट पर काम करने वाले सोहन कल्याणी का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसे हाल कभी नहीं देखे. जहां पर लोगों बैठते हैं उस जगह पर कई शवों का अंतिम संस्कार किया गया. पिछले तीन दिनों से जूनी इंदौर श्मशान घाट के बाहर शव जलाए गए. कोरोना की खतरनाक स्थिति का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है.
वहीं हरिशंकर कुशवाहा जो रीजनल मुक्ति धाम में पिछले 12 सालों से काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्होंने लाशों का ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा. लकड़ियां उठा उठाकर थक चुके हैं रोज करीब 40 शव आ रहे हैं. यहां पर कोई काम करने के लिए तैयार नहीं है, बड़ी मुश्किल से दो लोगों को काम पर रखा है. पहले तीन दिन में अस्थियां देते है अब एक दिन में ही दे रहे हैं. क्योंकि हमारे पर बिल्कुल भी जगह नहीं है.


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