BIG BREAKING: सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले पर सुनवाई, CJI ने कही यह बात
पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Snooping Case) के मुद्दे पर सड़क से लेकर संसद तक विपक्ष सरकार पर हमलावर है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी इस मामले पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस (CJI) ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से सवाल किया कि इस मामले में आईटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवाई गई है?
याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा को सुनवाई की शुरुआत में ही तंज का सामना करना पड़ा. चीफ जस्टिस ने अदालत में कहाकि वह पहले कपिल सिब्बल को सुनेंगे, क्योंकि एमएल शर्मा की याचिका सिर्फ अखबारों की कटिंग के आधार पर ही है. चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपने याचिका दायर ही क्यों की है?
वरिष्ठ पत्रकार एन. राम की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि पेगासस जैसा सॉफ्टवेयर एक व्यक्ति की प्राइवेसी पर हमला है और संविधान के नियमों के खिलाफ है. सिर्फ एक फोन के दम पर कोई भी हमारी ज़िंदगी में घुस सकता है, सबकुछ देख-सुन सकता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यूज रिपोर्ट में जो बताया गया है अगर वो सच है तो ये आरोप काफी सीरियस हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मामला दो साल पहले आया था, अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है. ऐसे में याचिका में ठोस तरीके से तथ्यों को शामिल किया जाना चाहिए था. चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि अभी तक किसी ने भी इस मामले में आपराधिक शिकायत क्यों नहीं की, ये आईटी एक्ट के तहत की जा सकती थी. कपिल सिब्बल की ओर से जानकारी दी गई कि कैलिफॉर्निया की कोर्ट में व्हाट्सएप ने केस दर्ज किया है. हमने उसका फैसला भी याचिका में दिया है, ये सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारों को दिया जा सकता है किसी प्राइवेट कंपनी को नहीं.
सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग कुल 9 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें पेगासस से जुड़े खुलासों की जांच करने की अपील की गई है.आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने ये खुलासा किया था कि इज़रायल के पेगासस साफ्टवेयर की मदद से भारत में कई लोगों की जासूसी की गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, दर्जनों पत्रकार, कुछ केंद्रीय मंत्री और अन्य फील्ड से जुड़े लोगों को फोन हैक किए गए थे. इस मसले पर लगातार संसद में हंगामा हो रहा है और विपक्ष जांच की मांग कर रहा है.