BIG BREAKING: लालू यादव के साले को कोर्ट ने भेजा जेल

23 साल पुराने मामलें में मिली सजा

Update: 2024-06-20 13:53 GMT
Bihar. बिहार। लालू यादव के साले साधु यादव को 23 साल पुराने एक केस में सजा सुनाई गई है, ये सजा उन्हें पटना के एमपी एलएलए कोर्ट ने दी है. कोर्ट ने उन्हें बेऊर जेल भेज दिया है. 2022 में इस मामले केवल 3 साल की सजा सुनाई गई थी. मामला 2001 का है, जब साधु यादव पर परिवहन कार्यालय में अधिकारियों के साथ मारपीट और रंगदारी के आरोप लगे थे. इस मामले में पटना की एमपी-एमएलए कोर्ट ने साधु को 2022 में तीन साल की सजा सुनाई थी. साथ ही प्रोविजिनल बेल भी दी थी. बात दें कि ये बेल 3 साल या उससे कम की सजा होने पर दिया जाता है. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने कहा थी कि सरेंडर के बाद वो सुनवाई करेगा. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के साले और पूर्व सांसद साधु यादव को एमपी-एमएलए कोर्ट ने जेल भेज दिया है। 23 साल पुराने मामले में कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाते हुए उन्हे बेउर जेल भेज दिया है। वही पटना हाईकोर्ट 
Patna High Court
 ने इस मामले में सरेंडर के बाद सुनवाई की बात कही थी।
साधु यादव को 23 साल पुराने मामले में दोषी पाया गया है। 2001 में साधु यादव पर परिवहन आयुक्त को धमकाने और कार्यालय में हंगामा करने का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में अधिकारियों ने साधु पर सरकारी काम में बाधा डालने और रंगदारी का आरोप लगाया था। दो साल पहले एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस मामले में साधु को तीन साल की सजा सुनाई थी।कोर्ट ने प्रोविजिनल बेल भी दी थी। वहीं बेल कंफर्म करने के लिए साधु ने एक महीने के भीतर जिला जज के समक्ष अपील याचिका दायर की थी, जो खारिज हो गई थी।जिसके बाद साधु पटना हाईकोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां हाईकोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था सुनवाई तभी होगी जब साधु सरेंडर करेंगे।
23 साल पुराने मामले में पटना की एमसी-एमएलए कोर्ट ने लालू प्रसाद के साले साधु यादव को बेऊर जेल भेज दिया है। साल 2001 में साधु यादव ने परिवहन कार्यालय में घुसकर मारपीट करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का आरोप लगा था। साल 2022 में कोर्ट ने साधु यादव को तीन साल की सजा सुनाई थी। दरअसल, साधु यादव ने साल 2001 के जनवरी महीने में संयुक्त परिवहन कार्यालय में अधिकरियों के साथ मारपीट की थी। इसी मामले में एमपीएमएलए कोर्ट ने साधु यादव को साल 2022 के 30 मई को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने साधु यादव को प्रोविजनल बेल भी दे दिया था।
कोर्ट से प्रोविजनल बेल मिलने के बाद साधु यादव ने एक महीने के भीतर जिला जज की कोर्ट में अपील दायर की थी लेकिन जिला जज ने साधु यादव की अपील को खारिज कर दिया था। जिसके बाद साधु यादव ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने साधु यादव को सरेंडर करने का निर्देश दिया था और कहा था कि सुनवाई तभी होगी जब वह सरेंडर करेंगे। बता दें कि लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के बिहार का सीएम रहते साधु यादव की बिहार की सियासत में बड़ी धाक थी लेकिन लालू-राबड़ी के हाथ से बिहार की सत्ता जाने के बाद साधु यादव का अपनी बहन और बहनोई के साथ रिश्ते की डोर कमजोर होती चली गई। ऐसा भी एक समय था जब बिहार में लालू के दोनों साले साधु यादव और सुभाष यादव की तूती बोलती थी लेकिन बहन-बहनोई से जब रिश्ते बिगड़े तो दोनों की राजनीतिक कद भी घटता चला गया।
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