Dewas. देवास। मध्यप्रदेश के देवास में अनुसूचित जाति जनजाति छात्रवास के संधारण और लघु निर्माण के लिए जारी की गई करोड़ों रुपये की राशि के भ्रष्टाचार का ममला सामने आया है. इस मामले में उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने ठेकेदार सहित 51 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इनमें सभी सरकारी कर्मचारी शामिल हैं. लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक उज्जैन अनिल विश्वकर्मा को शिकायत मिली थी कि देवास जिले में अनुसूचित जाति जनजाति छात्रावास/आश्रम की परिसंपत्तियों के संधारण और लघु निर्माण निर्माण कार्य के लिए समय-समय पर करोड़ों रुपये की राशि आवंटित की गई थी. आरोप लगाए गए हैं कि इस निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए छात्रावास अधीक्षक को एजेंसी बनाया गया था. इस मामले में जिला संयोजक आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के विवेक नागवंशी ने छात्रावासों के अधीक्षक और अन्य कर्मचारियों अधिकारियों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया है. उन्होंने प्राइवेट ठेकेदार राजेंद्र दुबे को राशि आवंटित कर दी, जबकि ठेकेदार ने कार्य को अधूरा छोड़ दिया।
राशि का भुगतान होने के डेढ़ साल बाद भी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. इसी के चलते शिकायत सही पाई गई, जिसे लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की तमाम धाराओं में अपराध पंजीबद्ध हुआ है. इसमें निजी ठेकेदार सहित 51 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी शामिल है जो कि छात्रावास की अधीक्षक पद पर कार्यरत है. लोकायुक्त डीएसपी सुनील कुमार ने बताया कि जिन अधिकारियों पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है उनमें 48 छात्रावास अधीक्षक के पद पर सदस्य थे, जबकि 6 ऐसे अधीक्षक है जो दो छात्रावास के प्रभारी है. सरकार की ओर से छात्रावास की मरम्मत और लघु निर्माण कार्य के लिए एक करोड़ 42 लाख 85714 रुपये की राशि सबसे पहले उपलब्ध कराई गई थी. इसके अलावा 27 लाख 69094 की राशि बाद में उपलब्ध कराई गई. इसी तरह देवास जिले में अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रावास के निर्माण और अन्य कार्यों के लिए 97,95,000 फिर दी गई. इसी तरह 60 लाख 32 हजार रुपये की राशि अलग से आवंटित की गई. सरकार की ओर से 3 करोड़ 28 लाख 81808 की राशि कुल दी गई है।