असम और मिजोरम के बीच विवाद अब सुलझने के आसार नजर आ रहे हैं. दोनों राज्य सरकारों ने गुरुवार को साझा बयान जारी किया. इसमें कहा गया कि वे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों को आगे ले जाएंगे और दोनों मुख्यमंत्री राज्यों की सीमा पर पैदा हुए तनाव को बातचीत के जरिए सुलझाएंगे. अजवाइल में असम-मिजोरम सरकार ने साझा बयान पर दस्तखत किए. साझा बयान के मुताबिक दोनों राज्य सीमावर्ती इलाकों में शांति स्थापित करने को लेकर राजी हुए हैं और वे केंद्र की ओर से सीआरपीएफ तैनात करने के फैसले का स्वागत करते हैं. असम की ओर से जहां वरिष्ठ मंत्री अतुल बोरा शामिल हुए. वहीं मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना बैठक का हिस्सा बने.
26 जुलाई को असम-मिजोरम सीमा पर गोलीबारी के बाद दोनों राज्यों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था. इस गोलीबारी में 6 पुलिसकर्मियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई थी. साथ ही 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इसके बाद दोनों के बीच बातचीत लगभग ठप हो गई थी. दोनों घटना के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे थे. केंद्र सरकार ने दखल देते हुए दोनों राज्यों की सीमा पर पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात करने का आदेश दिया था.
इस घटना के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ मिजोरम पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज कर ली थी, जिसे बीते सोमवार को मिजोरम के सीएम जोरमथंगा ने वापस देने का आदेश दिया था. असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद के बाद केंद्र ने सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं तय करने का फैसला लिया था. सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि क्योंकि ये वैज्ञानिक तरीके से होगा, इसलिए इसमें गलती की गुंजाइश कम होगी.
सीएम हिमंता पर एफआईआर दर्ज होने के बाद असम की ओर से मिजोरम के खिलाफ अघोषित इकोनॉमिक ब्लॉकेड लगा दिया गया था. मिजोरम के मुख्य सचिव ने कहा था कि इस मामले को लेकर के उन्होंने केंद्र सरकार को जानकारी दी है और वह जवाब के इंतजार में हैं. इस इकोनॉमिक ब्लॉकेड का असर मिजोरम के अंदरूनी इलाकों में दिखा था, जहां पेट्रोल-डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी के चलते राशनिंग व्यवस्था शुरू हो गई थी. इसके बाद डिप्टी कमिश्नर की अनुमति से ही टू व्हीलर गाड़ियों को 3 लीटर और मध्यम गाड़ियों को 5 लीटर डीजल या पेट्रोल दिया जा रहा था.