विपक्ष दलों को तगड़ा झटका! ED के सबसे बड़े हथियार को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार, अब सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पर किया हमला

Update: 2022-07-27 08:02 GMT
 न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विपक्ष को बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत जांच, तलाशी, गिरफ्तारी और संपत्तियों को अटैच करने जैसे ईडी की शक्तियों बरकरार रखा है. इतना ही नही कोर्ट ने मनी लांड्रिंग के तहत गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. इस फैसले के बाद बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर निशाना साधा है.

राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि PMLA को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पी चिदंबरम और अन्य नेताओं के लिए 'चिकन खुद तलने के लिए आ जाने' जैसा है. पी चिदंबरम ने यूपीए की सरकार में ईडी को शक्तियां दी थीं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
- PMLA एक्ट के तहत ED की शक्तियां बरकरार रहेंगी.
- ईडी इस एक्ट के तहत जांच, तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी कर सकती है. संपत्तियों को कुर्क भी कर सकती है.
- इसके साथ ही कोर्ट ने जमानत की दोहरी शर्तों के प्रावधानों को भी बरकरार रखा है.
- सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ECIR की तुलना एफआईआर से नहीं की जा सकती. यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है. ऐसे में सभी मामलों में ECIR की कॉपी देना आवश्यक नहीं है.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तारी के आधार के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त है. हालांकि, ट्रायल कोर्ट यह फैसला दे सकती है कि आरोपी को कौन से दस्तावेज देने हैं या नहीं.
- इतना ही नहीं ईडी अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को हिरासत में लेने के समय गिरफ्तारी के आधार का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है.
- कोर्ट ने 2018 में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच में भेज दिया है.
- कोर्ट ने कहा है कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं.
याचिकाओं में PMLA के कई प्रावधानों को दी गई थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में कार्ति चिदंबरम समेत 242 याचिकाओं को दाखिल कर PMLA के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की गई थी. इतना ही नहीं इन याचिकाओं में जमानत के प्रावधानों पर भी सवाल उठाए गए थे. इन याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया था कि इसके CrPC में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं होता है.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि जांच एजेंसियां ​​प्रभावी रूप से पुलिस शक्तियों का प्रयोग करती हैं, इसलिए उन्हें जांच करते समय CrPC का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए. चूंकि ईडी एक पुलिस एजेंसी नहीं है, इसलिए जांच के दौरान आरोपी द्वारा ईडी को दिए गए बयानों का इस्तेमाल आरोपी के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है, जो आरोपी के कानूनी अधिकारों के खिलाफ है.
याचिकाकर्ताओं ने ये भी तर्क दिया है कि कैसे जांच शुरू करने, गवाहों या आरोपी व्यक्तियों को पूछताछ के लिए बुलाने, बयान दर्ज करने, संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है. हालांकि मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अधिकतम 7 साल की सजा है, लेकिन कानून के तहत जमानत हासिल करना बहुत मुश्किल है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले नड्डा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, कांग्रेस जो विषय उठा रहे हैं वह न ही देश के लिए है और न ही पार्टी के लिए बल्कि ये परिवार को बचाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है उस घोटाले के बारे में एजेंसी को जवाब देना ये उनकी आवश्यकता है यही उन्हें करना चाहिए.
उन्होंने कहा, लेकिन ये परिवार अपने आपको देश और कानून से ऊपर समझता है, इसलिए इनसे कोई जवाब मांगे तो इन्हें ये पसंद नहीं है और सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए और ईडी के अधिकार क्षेत्र को बरकरार रखा है. कानून अपना काम कर रहा है. कांग्रेस को नियम के अनुसार चलना चाहिए.

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