सहरसा: आईएएस आरएल चोंग्थू के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति सक्षम प्राधिकार ने दे दी है। वर्ष 2004 में सहरसा के डीएम रहते अपात्र लोगों को हथियार का लाइसेंस देने का आरोप इन पर लगा था। वर्ष 2005 में सदर थाने में दर्ज मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई है।
सरकार के संयुक्त सचिव कार्यालय से जारी पत्र के मुताबिक, तत्कालीन जिलाधिकारी सह शस्त्र अनुज्ञापन पदाधिकारी सहरसा को अभियुक्त बनाते हुए उनके विरुद्ध भादवि की धारा 109, 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी एवं 30 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत अभियोजन स्वीकृति के लिए आदेश 27 अप्रैल, 2022 के माध्यम से प्राप्त हुआ है। इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू हुई।
सहरसा के डीएम रहने के दौरान आरएल चोंग्थू ने 229 लोगों को हथियार का लाइसेंस दिया था। जांच के दौरान पाया गया कि जिनको हथियार का लाइसेंस दिया गया, उन लोगों का नाम-पता, पहचान कुछ भी सही नहीं था। इसके बाद 14 लोगों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। आरोप है कि नियम को ताक पर रखकर बाहरी जिले के लोगों को आर्म्स लाइसेंस निर्गत किया। इसका खुलासा तत्कालीन एसपी अरविंद पांडेय ने किया था।
तत्कालीन थानाध्यक्ष अनिल कुमार यादवेंदु ने फर्जी नाम व पता के आधार पर आर्म्स लाइसेंस पाए सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इनमें ओमप्रकाश तिवारी एवं उनकी पत्नी दुर्गावती देवी, हरिओम कुमार, अभिषेक त्रिपाठी, उदयशंकर तिवारी, राजेश कुमार एवं मधुप कुमार सिंह को अभियुक्त बनाया गया था। जांच के बाद 9 जुलाई, 2005 को पुलिस ने ओमप्रकाश तिवारी के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दिया।
दूसरा आरोप पत्र 13 अप्रैल, 2006 को 14 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में दायर किया गया था। तब आरएल चोंग्थू और अभिषेक त्रिपाठी को दोषमुक्त करार दिया गया। अपराध अनुसंधान विभाग के निर्देश के बाद 2009 में पुलिस ने न्यायालय से दोबारा अनुसंधान प्रारंभ करने की अनुमति मांगी थी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया था। सदर एसडीपीओ संतोष कुमार ने बताया कि सरकार व मुख्यालय से अभियोजन की स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसके आलोक में आगे की कार्रवाई की जा रही है। आईएएस आरएल चोंग्थू वर्तमान में राज्यपाल के प्रधान सचिव हैं।