बड़े बैंकिंग फ्रॉड का भंडाफोड़, 4 मास्टरमाइंड गिरफ्तार
मुजफ्फरपुर जिला की विशेष पुलिस टीम ने जिले के अबतक के सबसे बड़े बैंकिंग व ऑनलाइन फ्रॉड (Online Fraud) का पर्दाफाश कर दिया है.
Muzaffarpur: मुजफ्फरपुर जिला की विशेष पुलिस टीम ने जिले के अबतक के सबसे बड़े बैंकिंग व ऑनलाइन फ्रॉड (Online Fraud) का पर्दाफाश कर दिया है. गिरोह के मास्टरमाइंड समेत चार को गिरफ्तार भी किया गया है. गिरफ्तार आरोपियों में सदर थाना क्षेत्र के साइंस कॉलेज स्थित पंजाब नेशनल बैंक (Punjab national bank) शाखा का कैशियर कम क्लर्क नितेश कुमार सिंह भी शामिल हैं.
टीम ने करीब 3 करोड़ रुपए के फ्रॉड का खुलासा कर लिया है. इस गिरोह के पास से 11.24 लाख कैश, 12 मोबाइल, 12 पासबुक, तीन लैपटॉप, एक कार, 20 आधार कार्ड, सात पैन कार्ड और पॉश मशीन बरामद किया है. गिरफ्तार अपराधियों में बैंककर्मी के अलावा कुढ़नी पुपरी का मंजय कुमार सिंह, अहियापुर कोल्हुआ पैगम्बरपुर का मोहम्मद जफर इकबाल और वैशाली जिला के पातेपुर लहलादपुर का राजेश कुमार शामिल है.
शनिवार शाम SSP जयंत कांत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 22 घोस्ट (भूत, जिसके संचालक का पता नहीं) खाता को बंद किया गया है. इसमें 82 लाख 43 हजार 615 रुपये हैं. उन्होंने कहा कि और भी खातों की जानकारी मिली है. सभी खातों को बंद किया जा रहा है. बताया कि गत दिनों टाउन थाना में एक केस दर्ज हुआ था. इसमें रिटायर्ड BSNL कर्मी रामदेव राम के खाता से इसी गिरोह में 22 लाख 40 हजार रुपये उड़ा लिए थे. इसके बाद अनुसंधान शुरू हुआ, फिर कड़ी से कड़ी जुड़ती गयी और एक-एक कर सभी पकड़े गए.
इस मामले में जानकारी देते हुए SSP ने बताया कि बैंककर्मी और गिरफ्तार मंजय एक ही गांव के रहने वाले हैं. बैंककर्मी नितेश ग्राहकों की पूरी जानकारी मंजय को बताता था. मंजय इसे मोहम्मद जफर को देता है फिर जफर ये जानकारी राजेश तक पहुंचता था. राजेश फर्जी आधार कार्ड बनाता था, जिसपर आधार संख्या समेत सभी जानकारों असल धारक की होती थी. इस फर्जी आधार कार्ड के जरिये ग्राहक का बैंक खाता में रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर दूसरे कम्पनी में पोर्ट करता था, फिर PNB मोबाइल एप डाउनलोड कर उस ग्राहक के खाता से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर लेता था.
कंपनी के नाम से खोलता था फर्जी अकाउंट
पुलिस जांच में पता लगा है कि 40 से अधिक घोस्ट (भूत) अकाउंट बेंगलुरू और कलकत्ता में खोल रखा है. ये सभी एकाउंट प्राइवेट बैंकों में हैं. इसे खोलने के किसी भी कम्पनी का नाम इस्तेमाल किया गया है. SSP का कहना है कि खाता का डिटेल्स तो है, लेकिन इसे चला कौन रहा है. यह किसी को नहीं पता है. इसे ही घोस्ट एकाउंट कहा जाता है. ग्राहकों के खाता से फ्रॉड कर रुपये इन्हीं एकाउंट में ऑनलाइन ट्रांसफर करता था फिर हवाला के जरिये ये पैसा इनलोगों तक पहुंचता था.