पप्पू फरिश्ता
हनुमान मंदिर में दर्शन के बाद आज से पुन: यात्रा पर निकले राहुल गांधी
नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 9 दिनों के ब्रेक के बाद आज फिर शुरू होने जा रही है। भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली से शुरू होगी और हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के रास्ते जम्मू-कश्मीर की ओर बढ़ेगी। श्रीनगर में लाल चौक पर 30 जनवरी को राहुल गांधी तिरंगा फहराएंगे। जम्मू-कश्मीर में इस यात्रा में फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी इसमें शामिल होंगे।
साथ नहीं विपक्षी नेता, राम से तुलना पर विवाद : उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का कभी जबरदस्त वचस्र्व हुआ करता था। दलितों का भी वोट मिलता था और दूसरी जातियां भी पार्टी के पीछे खड़ी रहती थीं। लेकिन फिर क्षेत्रीय दलों का उत्थान हुआ, समाजवाद आया, दलितों की राजनीति करने वाले काशीराम आए और समय के साथ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पतन शुरू हो गया। अब उस राजनीतिक पतन को रोकने के लिए कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आज उत्तर प्रदेश से निकलने जा रही है। 120 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ता हिस्सा लेने वाले हैं। लेकिन दूसरे राज्यों में जितनी सफल भारत जोड़ो यात्रा रही, क्या उत्तर प्रदेश में भी पार्टी को वहीं सफलता मिलेगी?
मायावती-अखिलेश क्यों कर रहे परहेज? : अब ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के शुरू होने से पहले ही कांग्रेस पार्टी को कुछ सियासी झटके लगे हैं। सबसे बड़ा झटका तो ये है कि राज्य में कांग्रेस को उन क्षेत्रीय दलों का समर्थन नहीं मिल रहा है जिनके दम पर पार्टी राज्य में फिर एक सक्रिय भूमिका निभा सकती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के यात्रा में शामिल होने पर सस्पेंस बना हुआ है। उन्होंने ट्विटर पर ये जरूर मान लिया है कि है कि उन्हें भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का न्योता मिला है, लेकिन उनका जाना मुश्किल लग रहा है। इसी तरह बसपा प्रमुख मायावती की भी यात्रा में शामिल होने की संभावना कम है। अगर ये दो बड़े चेहरे भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ चलते तो ये सिर्फ एक तस्वीर नहीं होती, बल्कि विपक्षी एकता की वो सियासी पिक्चर बनती जो भविष्य में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती थी।
क्या कांग्रेस का यूपी में उत्थान विपक्ष के लिए खतरा? : असल में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा उत्तर प्रदेश में तीन जिलों से होकर निकलने वाली है। इसमें गाजियाबाद, बागवत और शामली शामिल है। ये तीनों ही जिले पश्चिमी यूपी में पड़ते हैं जहां पर मुस्लिम आबादी अच्छी संख्या में है, दलितों का भी प्रभाव है और जाट भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस समय यूपी में मुस्लिम वोट सपा के साथ चल रहा है, दलितों पर दोनों बसपा और बीजेपी की नजर रहती है और जाट पिछले कुछ समय से भाजपा के साथ जुड़ा हुआ है। जानकार मानते हैं कि इस वजह से भी विपक्षी नेता कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से कतरा रहे हैं।
वे नहीं चाहते कि यूपी में कांग्रेस को किसी भी तरह का फायदा मिले या उसे फिर खड़ा होने का अवसर दिया जाए।
राम से तुलना और खुर्शीद का डैमेज कंट्रोल
अब यूपी में कांग्रेस के सामने खुद को सियासी रूप से स्थापित करने की चुनौती तो है ही, लेकिन इस समय पार्टी एक विवाद का भी सामना कर रही है। ये विवाद भगवान राम से तुलना से जुड़ा हुआ है। असल में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कुछ दिन पहले राहुल गांधी की तुलना भगवान राम से कर दी थी। उन्होंने कहा था कि भगवान राम की खड़ाऊं बहुत दूर तक जाती हैं। कभी-कभी खड़ाऊं लेकर भी चलना पड़ता है। हमेशा भगवान राम हर जगह नहीं पहुंच पाते हैं। उनके भाई भरत जी उनकी खड़ाऊं लेकर चलते हैं। खड़ाऊं लेकर हम उत्तर प्रदेश में पहुंच गए हैं। अब रामजी भी पहुंचेंगे। यह हमारा विश्वास है। अब यूपी की जैसी राजनीति है और यहां पर भगवान राम को लेकर दिया कोई छोटा बयान भी सियासी तूफान ला सकता है। इस समय यूपी में कांग्रेस को इसी प्रकार के तूफान का ही सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी पूरा प्रयास कर रही है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ये मुद्दा गर्म रहे और इस विवाद की वजह से पार्टी को जमीन पर यात्रा से वो सफलता ना मिले जिसकी वो उम्मीद लगाए बैठी है।
हालात ऐसे बन गए हैं कि पिछले कुछ दिनों से लगातार सलमान खुर्शीद को डैमेज कंट्रोल करना पड़ रहा था। पहले उन्होंने इसी विवाद पर सफाई पेश करते हुए कहा था कि मेरे बयान का वह मतलब नहीं था। अगर मैंने कहा कि मैं खड़ाऊ लेकर आया तो यह मतलब नहीं कि जिसकी खड़ाऊ लेकर आए वह भगवान राम हैं। मैं भगवान राम की तुलना किसी से नहीं कर सकता। अब सोमवार को एक बार फिर उनकी तरफ से इस विवाद पर सफाई पेश की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि श्री राम की जिंदगी से किसी उपमा का इस्तेमाल करना तो भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। अब ये डैमेज कंट्रोल जमीन पर कितना कारगर साबित होता है, ये आज स्पष्ट हो जाएगा जब भारत जोड़ा यात्रा यूपी से निकलेगी।
किन मुद्दों पर फोकस, कहां से निकलेगी यात्रा?
वैसे बड़ी बात ये है कि कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा को सिर्फ महंगाई, बेरोजगारी, नफरत वाली राजनीति जैसे मुद्दों तक सीमित रखा है। राहुल गांधी ने भी इस यात्रा के दौरान जब-जब भाषण दिया है, उनका सारा फोकस इन्हीं बिंदुओं पर रहा है। अब जब यात्रा यूपी से निकलने जा रही है, पार्टी फिर तमाम विवादों को पीछे छोड़ सिर्फ लोगों का ध्यान इन मुद्दों की ओर आकर्षित करना चाहती है। जानकारी के लिए बता दें कि आज राहुल की भारत जोड़ो यात्रा गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर से शुरू होगी। यात्रा में राहुल के साथ प्रियंका गांधी भी साथ चलने वाली हैं।