भारत बायोटेक को मिलेगी अच्छी खबर, स्वदेशी 'कोवैक्सीन' को WHO से मिल सकती है हरी झंडी

Update: 2021-07-09 07:40 GMT

भारत बायोटेक कंपनी द्वारा बनाई गई स्वदेशी 'कोवैक्सीन' को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जल्दी ही अप्रूवल मिल सकता है. WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने गुरुवार को खुद इस बात के संकेत दिए हैं. स्वामीनाथन ने कहा कि कोवैक्सीन के फाइनल फेज़ का ट्रायल डेटा सही लग रहा है. कोवैक्सीन इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ एजेंसी के सुरक्षा के पैमानों पर खरी उतरती दिख रही है.

डॉ. स्वामीनाथन ने बताया कि 23 जून को भारत बायोटेक और WHO ने इसे लेकर एक प्री-सबमिशन बैठक की थी और अब उसके ट्रायल से जुड़ा डेटा इकट्ठा किया जा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन कम प्रभावशाली है, लेकिन फिर भी ये काफी अच्छी वैक्सीन है. इसका ओवरऑल एफिकेसी रेट काफी ज्यादा है.
बता दें कि भारत बायोटेक ने शनिवार को ही कोवैक्सीन पर किए फेज-3 के एफिकेसी एनालिसिस को सार्वजनिक किया था. वैक्सीन निर्माता कंपनी ने कोरोना के सिम्प्टोमैटिक मरीजों में इसका ओवरऑल एफिकेसी रेट 77.8 प्रतिशत बताया था. भारत के सबसे बड़े 'एफिकेसी ट्रायल' से लिए डेटा के मुताबिक, कोविड के गंभीर मामलों में कोवैक्सीन 93.4 प्रतिशत असरदार है.
इसके अलावा, दुनिया में तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) के खिलाफ कोवैक्सीन 65.2 प्रतिशत तक बचाव कर सकती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि ये वही वेरिएंट है जिसने हाल ही में भारत में भी काफी उत्पात मचाया है. डॉ. स्वामीनाथन ने बताया कि WHO इस वक्त सभी वैक्सीन को बारीकी से देख रहा है.
कोवैक्सीन का निर्माण- कोवैक्सीन को भारत बायोटक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर डेवलप किया है. कोवैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है, जो बीमारी पैदा करने वाले वायरस को निष्क्रिय करके बनाई गई है.
कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट- कोवैक्सीन रिएक्टोजैनिक साइड इफेक्ट के साथ आती हैं. इसमें इंजेक्शन साइट पर दर्द, बुखार, ठंड लगना, कंपकंपी, चक्कर आना मतली, सिर दर्द या पेट दर्ज जैसे साधारण देखने को मिल सकते हैं. इसके अलावा कोवैक्सीन में अभी तक कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखने को मिला है.
डॉ. स्वामीनाथन ने बताया कि ये भी कहा कि हमारी एजेंसी वैक्सीन पर अंतिम फैसला लेने के लिए थोड़ा और डेटा मिलने का इंतजार कर रही है. भारत में कोविड-19 से बिगड़े हालातों में पर डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि सरकार को कम से कम 60 से 70 प्रतिशत आबादी को वैक्सीनेट करन करने पर जोर देना चाहिए. सरकार को बूस्टर शॉट नहीं, बल्कि प्रायमरी वैक्सीनेशन के दायरे को बड़ा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
स्वामीनाथन ने कहा कि आबादी के एक बड़े हिस्से को वैक्सीनेट करने के बाद ही ब्रिटेन जैसे देश की तरह भारत प्रेरणास्रोत बन सकता है, जो कि अब लोगों को बूस्टर शॉट देने की तरफ बढ़ चुका है. स्वामीनाथन ने कहा कि अमेरिका के कुछ जगहों को छोड़कर दुनिया के अधिकांश हिस्सों में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़े हैं. मरने वालों की संख्या में भी कोई कमी नहीं आई है.
बता दें कि भारत बायोटेक द्वारा विकसित की गई कोवैक्सीन अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाई है. कोवैक्सीन भारत की उन तीन वैक्सीन्स में शुमार है जो भारत में लोगों को कोविड-19 के इंफेक्शन से बचाने का काम कर रही है. इस वैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMC) के साथ मिलकर डिजाइन किया है.
कोवैक्सीन के अलावा कोविशील्ड और रशिया की स्पुतनिक-वी दो अन्य ऐसी वैक्सीन हैं जो इस समय भारतीयों को दी जी रही हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो इस सप्ताह मॉडर्ना की वैक्सीन भी भारत पहुंच सकती है.


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