'लोन मोरेटोरियम योजना' का लाभ अब नहीं मिलेगा, सुप्रीम कोर्ट ने मांग को किया याचिका खारिज
कोरोना वायरस महामारी के कारण जो लोग आर्थिक परेशानियां झेल रहे हैं।
नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी के कारण जो लोग आर्थिक परेशानियां झेल रहे हैं और सरकार से लोन के EMI में राहत की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम योजना (Loan Moratorium Scheme) को और आगे बढ़ाने के साथ केंद्र सरकार से इंटरेस्ट माफ करने (Interest Waiver) की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा - मामला नीतिगत है
इससे पहले 24 मई को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 11 जून तक टाल दी थी. लेकिन आज कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह नीतिगत मामला है और कोर्ट पहले ही इसमें दखल नहीं देने की बात कह चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वालों से कहा कि वे अपनी इस मांग के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास जाएं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि वह सरकारी नीतियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि कोर्ट सरकार की नीतियों का तब तक ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं सकती जब तक कि वे मनमाने और दुर्भावनापूर्ण नहीं हों.
सरकार के पास और भी काम हैं - कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आप सरकार के पास जाइए. सराकर के पास और भी काम हैं, उन्हें लोगों को टीका लगाना है और अप्रवासी मजदूरों की समस्या को सुलझाना है. कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, क्योंकि सराकर भी कोरोना के कारण भयंकर वित्तीय संकट से जूझ रही है.
इस याचिका में अनुरोध किया गया था कि कोविड की नई लहर को देखते हुए एक बार फिर लोन मोरेटोरियम स्कीम को लागू किया जाए. देश में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है. कई राज्यों ने लॉकडाउन लगा दिया है.
इससे आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है और काम-धंधा ठप पड़ गया है. बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं और उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा इलाज में खर्च हो रहा है. इसे देखते हुए केंद्र सरकार से वित्तीय राहत देने की मांग की गई थी, जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया.