केरल की अलाथुर लोकसभा सीट पर सीपीआई (एम) व कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई
तिरुवनंतपुरम: राज्य के आरक्षित लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अलाथुर में इस बार सीपीआई (एम) और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई है। सीपीआई (एम) ने यहां से अपने सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक एसटी/एससी और देवसोम राज्य मंत्री के. राधाकृष्णन को खड़ा किया है। इनका विधानसभा क्षेत्र चेलाकारा भी अलाथुर में ही आता है। कांग्रेस ने यहां से रेम्या हरिदास को मैदान में फिर से उतारा है। इनके समक्ष सीट बचाने की चुनौती है।
अलाथुर पलक्कड़ जिले में है। इस निर्वाचन क्षेत्र में इस जिले के चार और त्रिशूर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। सभी सातों विधानसभा क्षेत्रों पर सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वामपंथियों का कब्जा है। सीपीआई एम उम्मीदवार राधाकृष्णन, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1996 में अपना पहला चुनाव जीता था। कांग्रेस उम्मीदवार रेम्या हरिदास ने 2019 के लोकसभा चुनावों में तब सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने तत्कालीन सांसद सीपीआई (एम) के युवा नेता पी.के. बीजू को हराया, जो अलाथुर से जीत की हैट्रिक की उम्मीद कर रहे थे।
युवा नेता हरिदास 2019 में अपने अभियान के दौरान गाने गाकर मतदाताओं के दिलों में उतर गईं। उन्होंने 1.58 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। रेम्या ने कहा,“हां, इस बार भी मैं गाने गाकर अपने मतदाताओं तक पहुंचूंगी और मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ भी गलत है।”
लेकिन राधाकृष्णन और सीपीआई (एम) को पता है कि 2021 में विधानसभा चुनावों में उनके सात उम्मीदवारों को कुल मिलाकर दो लाख से अधिक वोटों की बढ़त मिली थी और यही उनकी ताकत है। क्षेत्र से अभी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को पलक्कड़ पहुंचने के साथ, जल्द ही एनडीए उम्मीदवार के नाम की घोषणा की उम्मीद है।
2019 के चुनावों में, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए उम्मीदवार को लगभग 89 हजार वोट मिले थे। अलाथुर निर्वाचन क्षेत्र का गठन 2009 में तत्कालीन ओट्टापलम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों से अलग कर किया गया था। ओट्टापलम लोकसभा सीट से देश के पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन 1984, 1989 और 1991 में लगातार तीन चुनाव जीते थे।