देव जलधारा के पास देवता की पालकी और देव चिन्हों का स्नान

Update: 2024-09-08 10:15 GMT
Sewing. शिलाई। क्षेत्र की आस्था के प्रतीक महासू देवता का जागरा पांजोई मेला शुक्रवार को आरंभ हो गया है। शुक्रवार अपराहन को देवता देवालय से बाहर आए। शनिवार को दोपहर बाद देव जल धारा के पास देवता की पालकी व देव चिन्हों का स्नान करवाया गया। 14वीं शताब्दी में शिलाई क्षेत्र के कोटी देवालय में स्थापित महासू देवता देवालय में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है। महासू देवता की जय चार भाई महासू की जय के जयघोष से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। तीन बजे देवता की पालती देवालय से स्नान के लिए निकाली गई। देव पालकी, छड़ी, निशान व देव चिन्हों का विधिवत स्नान करवाया गया। देवता के पुजारी मुंशी राम खदराई, देव भंडारी डा. हीरा सिंह नेगी ने बताया कि देव करिंदे, पुजारी, दयाल, ढोड़वारी, प्लगयारे, नगार्ची, ठाणी, थानी, लकड़ीहारे देव परंपरा को सदियों से शान व शौकत से निभाते आ रहे हैं।

इस दौरान कई देव मालियों व देव हवा आई। देवता करीब साढ़े चार बजे जल धारा से स्नान कर देवालय पहुंचे। जहां देव नृत्यगना ने देव स्तुति कर नृत्य किया। देवता के देवालय पहुंचने पर महासू देवता सेवा समिति द्वारा श्रद्धालुओं को भंडारे का आयोजन किया जो निरंतर चौबीस घंटे चलता रहा। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने देवता के प्रसाद को ग्रहण कर पुण्य प्राप्त किया। पूरी रात जागरण व विभिन्न प्रकार की देव संस्कृति प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं का मनोरंजन किया गया। इस मौके पर शिलाई गांव के बजीर प्रताप सिंह तोमर, बड़े थानी रघुवीर तोमर, रंजीत नेगी, कुलदीप नेगी, जवाहर देसाई, कल्याण सिंह तोमर, मंदिर समिति के अध्यक्ष कंवर सिंह राणा, विक्रम सिंह नेगी, समिति के अध्यक्ष कल्याण सिंह राणा, सुरेंद्र राणा, नेत्र राणा, ठानी पंच राम नेगी, नैन सिंह नेगी, जगत नेगी, सुशील नेगी, राजू दयाल, फकीर चंद सहित कार्यकारिणी के सभी सदस्य, ग्रामीण महिलाएं व 52 गांव सहित दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने इस देव स्नान में भाग लिया।
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