आग की चपेट में बैंक, मचा हड़कंप

146 करोड़ रुपए फंड ट्रांसफर किया गया था.

Update: 2022-12-03 08:59 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC 

लखनऊ: लखनऊ (Lucknow) के हजरतगंज इलाके स्थित यूपी कोऑपरेटिव बैंक (UP Co-operative Bank) में शनिवार सुबह आग लग गई. आग बैंक के आठवें माले पर मौजूद कंप्यूटर रूम में लगी. यह वही कम्प्यूटर रूम है, जहां से 146 करोड़ रुपए फंड ट्रांसफर किया गया था. यहां पर रखीं कई सारी फाइलें जलकर खाक हो गई हैं.
आग लगने की जानकारी मिलते है, बैंक परिसर में हंगामा मच गया था. तुरंत ही इसकी जानकारी फायर बिग्रेड डिपार्टमेंट को दी गई थी. मौके पर पहुंची फायर टीम ने आग को विकराल रुप लेने से पहले ही बुझा में कामयाबी पाई. बैंक अफसरों का कहना है कि जिस जगह पर आग लगी, वहां पर कई साल पुरानी वाउचर्स की फाइलें रखी थीं. केवल वही वाउचर्स जले हैं.
लखनऊ के चीफ फायर ऑफिसर का कहना है कि 8th फ्लोर में जिस जगह पर आग लगी, वहां पर फाइलें जलकर खाक हो गई हैं. तीन महीने पहले भी आग बुझाने के इंतजाम नहीं मिलने पर बैंक को नोटिस दिया गया था. आज फिर निरीक्षण कर रिपोर्ट भेजी जाएगी.
वहीं, यूपी को-ऑपरेटिव बैंक एमडी वरुण मिश्रा के अनुसार, ट्यूबलाइट के शॉर्ट सर्किट से आग लगी है. कई साल पुराने वाउचर्स जहां रखे थे, उन फाइलों में आग लगी है. जो दस्तावेज जले हैं, वह सभी दस्तावेज कंप्यूटराइज्ड भी हमारे पास सुरक्षित हैं.
बता दें कि, लखनऊ के यूपी कोऑपरेटिव बैंक के जिस 8th फ्लोर पर लगे कंप्यूटर सेक्शन को हैक कर बैंक के रिटायर्ड अफसर आरएस दुबे और उनके साथियों ने 146 करोड़ का फंड ट्रांसफर कर हड़पने की कोशिश की गई थी.
मामले की जांच साइबर थाने को दी गई थी. जांच में खुलासा हुआ कि आरएस दुबे की मिलीभगत से हैकर्, ने 8th फ्लोर पर लगे कंप्यूटर्स में logger आईडी लगाकर कंप्यूटर हैक किए थे, जिसकी मदद से 8 विभिन्न खातों में 146 करोड़ का फंड ट्रांसफर किया गया था. मगर, समय रहते फंड ट्रांसफर की सूचना बैंक से पुलिस को मिली और पुलिस ने जालसाजों के खाते में फंड जाने से पहले ही रोक कर खाते फ्रीज करा दिए थे.
इस मामले में लखनऊ साइबर क्राइम पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. बीते दिनों साइबर एक्सपर्ट भी गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसने बैंक हैक करने के लिए डिवाइस तैयार कराया था. पुलिस को आरोपियों के पास से कई दस्तावेज के अलावा जरुरी चीजें मिली थीं. सभी आरोपियों पर धारा 419, 420, 452, 467, 468, 471, 120 बी और 43, 66, 66 सी सूचना प्रोद्यौगिकी अधिनियम में केस दर्ज किया गया है.
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