भारत के इस गांव में जूते-चप्पल पहनने पर रोक, जानिए क्या है रहस्य

आज कल लोग बिना जूता-चप्पल के एक कदम भी नहीं चल सकते हैं, लेकिन क्या आप कभी बिना जूते-चप्पल के हमेशा रह सकते हैं।

Update: 2021-09-26 05:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज कल लोग बिना जूता-चप्पल के एक कदम भी नहीं चल सकते हैं, लेकिन क्या आप कभी बिना जूते-चप्पल के हमेशा रह सकते हैं। शायद आप इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन भारत में एक ऐसा गांव है जहां जूते-चप्पल पहनना पूरी तरह बैन है। यह जानकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन यह बिल्कुल सच है।

यह गांव दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में है। यह तमिलनाडु के प्रसिद्ध शहर मदुराई से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसका नाम कलिमायन गांव है। इस गांव के लोग अपने बच्चों को भी चप्पल-जूते नहीं पहनने देते हैं। अगर इस गांव में कोई गलती से भी जूते या चप्पल पहन लेता है तो उसे कठोर सजा दी जाती है। 

जानिए क्यों नहीं पहनते हैं जूते-चप्पल

बताया जाता है कि इस गांव के लोग अपाच्छी नामक देवता की सदियों से पूजा कर रहे हैं। वह मानते हैं कि अपाच्छी देवता ही उनकी रक्षा करते हैं। अपने देवता के प्रति आस्था की वजह से गांव की सीमा के अंदर जूते-चप्पल पहनने पर बैन है। 

आपको जानकर हैरानी हुई होगी, लेकिन इस गांव में रहने वाले लोग सदियों से इस अजीबो गरीब परंपरा को निभा रहे हैं। अगर किसी को बाहर जाना होता है तो वह हाथ में जूते चप्पल लेकर जाता है और गांव की सीमा खत्म होने के बाद उसे पहनता है। इसके बाद जब वे लौटकर आते हैं, तो गांव की सीमा से पहले ही जूता चप्पल उतार देते हैं। 

यह परंपरा कब से चलती रही है इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है, लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि कई पीढ़ियों से इस गांव के लोग यह परंपरा निभाते आ रहे हैं। यहां के बच्चे स्कूल भी नंगे पांव ही जाते हैं। यहां के लोग जूता चप्पल के नाम पर नाराज हो जाते हैं। भारत में ऐसी कई अजब-गजब परंपराएं हैं जिनका लोग पालन करते हैं। 

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