बाहुबली डीपी यादव ने की ये मांग

Update: 2022-05-26 03:03 GMT

गाजियाबाद: अपने गुरु महेंद्र भाटी की हत्या के तीस साल पुराने मामले में बरी होने के बाद पूर्व सांसद व बाहुबली डीपी यादव अब अपने नाम से हिट्रीशीटर शब्द हटवाने की जद्दोजहद में जुट गए गए हैं। बुधवार को एसएसपी को प्रार्थना-पत्र देकर गुहार लगाई कि अब वह बूढ़े हो चुके हैं। तमाम बीमारियों से ग्रसित हैं। लिहाजा अब तो हिस्ट्रीशीट खत्म कर दीजिए। उन्होंने अपने बचाव में सभी मामलों में निर्दोष साबित होने का हवाला भी दिया है।

पूर्व सांसद डीपी यादव कविनगर थानाक्षेत्र के राजनगर में रहते हैं। संगीन मामले दर्ज होने के चलते कविनगर पुलिस ने उनकी हिस्ट्रीशीट खोली थी। शराब, कंस्ट्रक्शन व अन्य कारोबारों तथा राजनैतिक मसलों के चलते डीपी यादव पर यूपी के अलावा दिल्ली व हरियाणा में भी संगीन धाराओं में केस दर्ज हुए। डीपी यादव का नाम उस वक्त चर्चा में आया, जब 13 नवंबर 1992 को गुरु और गाजियाबाद के पूर्व विधायक महेंद्र भाटी की हत्या में उनका नाम आया। दादरी में हुए हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने दोषी मानते हुए 15 फरवरी 2015 को डीपी यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई। डीपी यादव ने इस फैसले को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई उत्तराखंड हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई। हाईकोर्ट ने 10 नवंबर 2021 को सीबीआई कोर्ट का फैसला पलटते हुए डीपी यादव को बरी कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी 11 अप्रैल 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुएनिर्दोष करार दिया। माथे से गुरुकी हत्या का कलंक हटने के बाद डीपी यादव ने अब हिस्ट्रीशीटरों की फेहरिस्त से नाम हटाने की कवायद शुरू कर दी।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हिस्ट्रीशीटर ए और बी श्रेणी के होते हैं। ऐसे अपराधी जो छोटे अपराध करते हैं और उनमें सुधार की गुंजाइश होती है, उनकी ए श्रेणी की हिस्ट्रीशीट कप्तान खोलते हैं। वहीं, जघन्य अपराध करने वालों की बी-श्रेणी की हिस्ट्रीशीट आईजी के अनुमोदन पर खुलती है। ए श्रेणी के हिस्ट्रीशीटरों की सिर्फ निगरानी समाप्त की जा सकती है, जबकि बी श्रेणी की हिस्ट्रीशीट सिर्फ हिस्ट्रीशीटर की मौत के बाद ही बंद होती है। डीपी यादव कविनगर थाने के बी-श्रेणी के हिस्ट्रीशीटर हैं और सूची में 69वें नंबर पर दर्ज है।

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