हाल बेहाल: गर्मी का प्रकोप दुनिया को ले डूबेगा? स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर

Update: 2022-05-04 04:48 GMT

नई दिल्ली: इस समय असहनीय गर्मी के कारण भारत और पाकिस्तान के लोग बेहद परेशान हैं। देश में हीटवेव के चलते बिजली की मांग अपने सबसे उच्चतम स्तर पर है। भीषण गर्मी के चलते देश भर में कई स्थानों पर तापमान 45 डिग्री के निशान को पार कर गया है और मौसम विज्ञानियों ने भविष्यवाणी की है कि यह स्थिति और खराब होने वाली है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पश्चिम राजस्थान, मध्य प्रदेश (पूर्व और पश्चिम) और विदर्भ के उपमंडलों में भीषण गर्मी के लिए पहले ही ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया था। शेष उत्तर पश्चिमी भारत और मध्य भारत के कुछ हिस्सों को "येलो" अलर्ट पर रखा गया।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इससे पहले इतनी गर्मी कभी नहीं पड़ी। दरअसल चिलचिलाती अप्रैल की गर्मी देश की अब तक की सबसे भीषण गर्मी कही जा रही है। इसे 122 वर्षों में अब तक का सबसे गर्म महीना बताया जा रहा है। इससे पहले भी दुनिया में गर्मी का भीषण कहर टूट चुका है। आइए नजर डालते हैं दुनिया में पिछली गर्मियों पर।
पिछले साल अगस्त में, ग्रीस 30 से अधिक वर्षों में अपनी सबसे खराब गर्मी की लहर की चपेट में आ गया था। इसके कुछ क्षेत्रों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस (113 डिग्री फारेनहाइट) तक पहुंच गया था। हीटवेव के चलते इस दक्षिणी यूरोपीय राष्ट्र के कई जंगलों में आग भड़क उठी थी। स्थिति इतनी विकट हो गई थी कि ग्रीक अधिकारियों ने जनता को अनावश्यक काम और यात्रा करने के खिलाफ चेतावनी दी थी और इसके सबसे अधिक देखे जाने वाले स्मारक प्राचीन एक्रोपोलिस को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
पूरे भारत में मौजूदा मौसम की स्थिति 2015 की हीटवेव की याद दिलाती है। मई और जून के महीनों में, देश अपनी दूसरी सबसे घातक हीटवेव और दुनिया की पांचवीं सबसे खराब हीटवेव की चपेट में था। कुछ शहरों में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जिससे राजधानी सहित देश के कुछ हिस्सों में सड़कों पर डामर तक पिघल गया जिससे परिवहन भी प्रभावित हुआ था। सीएनएन ने बताया कि लू ने 2,300 से अधिक लोगों की जान ली था। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य आंध्र प्रदेश रहा, इसके बाद तेलंगाना और ओडिशा हैं।
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी 2015 में भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा था। मई-जून के रमजान के महीनों में भीषण गर्मी देखी गई थी। तापमान 45 डिग्री को पार करने के बाद लू लगने से 1,100 से अधिक लोगों की मौत हो गई। लंबे समय तक बिजली कटौती, कम होता पानी और मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान के लिए उपवास करने वाले अधिकांश लोगों की स्थिति और खराब हो गई थी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि गर्मी की लहर ने देश के सबसे बड़े शहर कराची के सरकारी और निजी अस्पतालों में 14,000 से अधिक लोगों को भेज दिया। स्थिति इतनी खतरनाक हो गई कि धार्मिक हस्तियों ने उपासकों से आग्रह किया कि यदि उनके स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर द्वारा सिफारिश की जाए तो वे अपना उपवास तोड़ दें। बड़े पैमाने पर मौतों के चलते कराची के मुर्दाघरों लाशों से पट गए थे।
दुनिया का सबसे ठंडा स्थान साइबेरिया रूस में है लेकिन इस देश में गर्मी का कहर भी टूटा है। 2010 में, रूस ने एक सदी से भी अधिक समय में सबसे भीषण गर्मी की लहर का अनुभव किया। पूरे गर्मियों में तापमान 37.7 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया, जो रूस में अत्यंत दुर्लभ है। गर्मी की लहर ने देश पर कहर बरपाया, देश के कृषि स्टॉक को नष्ट कर दिया। जंगल की आग भी एक बड़ी समस्या थी, और बड़े पैमाने पर मरने वालों की संख्या ने रूस को झकझोर कर रख दिया था।
जून 2006 के अंत में, कुछ यूरोपीय देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड, लक्जमबर्ग, इटली, पोलैंड, जर्मनी ने असाधारण रूप से गर्म मौसम का अनुभव किया। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन द एपिडेमियोलॉजी ऑफ डिजास्टर्स (CRED) द्वारा बनाए गए इमरजेंसी इवेंट्स डेटाबेस (EM-DAT) के आंकड़ों के अनुसार, भीषण गर्मी की स्थिति के कारण 3,400 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
2003 के यूरोपीय हीटवेव ने रिकॉर्ड उच्च तापमान देखा जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 70,000 मौतें हुईं (अकेले फ्रांस में 14,000 से अधिक मरे थे)। लू का असर पर्यावरण पर भी पड़ा। गर्मियों में अल्पाइन ग्लेशियर 10 प्रतिशत सिकुड़ गए। कमजोर पेड़ों और सूखे अंडरब्रश के कारण पश्चिमी यूरोप में जंगल की आग भड़क उठी।
मई 2002 में भीषण गर्मी ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र आंध्र प्रदेश था जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के उच्च स्तर पर पहुंच गया। गर्मी इतनी तेज थी कि खबरें आने लगीं कि तालाब और नदियां सूख गईं और उन्हीं जिलों में पक्षी आसमान से गिरने लगे थे और भीषण गर्मी से जानवर भी मर रहे थे।

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