सोनिया गांधी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा- टैक्स फ्री करो, ऑक्सीजन पर 12% और वेंटिलेटर पर 20 फीसदी जीएसटी
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया ने कहा कि ऑक्सीजन पर 12% और वेंटिलेटर पर 20 फीसदी जीएसटी लगता है। सरकार को इन्हें टैक्स फ्री करना चाहिए।
देश में तेजी से बढ़ते कोरोना का मामलों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया ने कहा कि ऑक्सीजन पर 12% और वेंटिलेटर पर 20 फीसदी जीएसटी लगता है। सरकार को इन्हें टैक्स फ्री करना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आग्रह किया कि सरकार को कोरोना महामारी से निपटने के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरणों और दवाओं को जीएसटी से मुक्त करना चाहिए तथा कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। सोनिया गांधी नें कहा "जीवनरक्षक दवाएं जैसे रेमडेसिविर और मेडिकल ऑक्सीजन जैसी आधारभूत जरूरतों पर 12 प्रतिशत का जीएसटी लगाया गया है।"
सोनिया ने कहा "कोरोना से लड़ने के लिए आवश्यक इक्विपमेंट जैसे ओक्सीमीटर और वेंटिलेटरों पर 20% जीएसटी क्यों वसूली जा रही है। इन्हें टैक्स फ्री होना चाहिए।" इसके अलावा गांधी नें कहा कि लॉकडाउन में बेरोजगार हुए गरीबों को हर महीने छह-छह हजार रुपए दिया जाए।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि कई जगहों पर टीकों, ऑक्सीजन और वेंटिलेंटर की कमी हो रही है, लेकिन सरकार चुप्पी साधे है। वैक्सीन के निर्यात पर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि क्या टीकों के निर्यात को रोककर अपने नागरिकों की रक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए।
बैठक में दिए गए अपने संबोधन में सोनिया ने बड़ी संख्या में लोगों के कोरोना वायरस संक्रमण के चपेट में आने और रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत होने पर दुख जताते हुए कहा कि इस संकट की घड़ी में अपना कर्तव्य निभा रहे स्वास्थ्यकर्मियों एवं दूसरे कर्मचारियों को कांग्रेस सलाम करती है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'सरकार को टीकाकरण के लिए अपनी प्राथमिकता पर पुनर्विचार करना चाहिए और आयुसीमा को घटाकर 25 साल करना चाहिए। अस्थमा, मधुमेह, किडनी और लीवर संबंधी बीमारियों से पीड़ित सभी युवाओं को टीका लगाया जाना चाहिए।'
कांग्रेस नेता ने कहा 'आत्मनिर्भरता के अव्यावहारिक जोश' के कारण अन्य ऐसे टीकों के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने में विफलता रही, जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ और जापान में मंजूरी मिल गई थी।' सीडब्ल्यूसी ने दावा किया कि राज्यों को पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध नहीं कराए गए। उसने कहा, 'अपारदर्शी पीएम-केयर फंड में सैकड़ों करोड़ रुपये जमा होने के बावजूद राज्य सरकारों को पर्याप्त धन मुहैया कराने में केंद्र विफल रहा जबकि राज्य दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रहे थे – एक महामारी के खिलाफ और दूसरा आर्थिक मंदी के खिलाफ।'