'...कम से कम मेरे अंतिम संस्कार में ज़रूर आना' , जब बोले कांग्रेस अध्यक्ष, जानें पूरी बात
कांग्रेस ने खरगे के दामाद को भाजपा के मौजूदा सांसद के खिलाफ मैदान में उतारा है।
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने गृहक्षेत्र कलबुर्गी में जनता से भावुक अपील की है। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील करते हुए कहा कि भले ही वे आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में वोट न करना चाहते हों, लेकिन अगर उन्हें लगता है कि मैंने उनके लिए काम किया है तो कम से कम मेरे अंतिम संस्कार में शामिल हो जाना। जिले के अफजलपुर में एक चुनावी रैली में 81-वर्षीय नेता ने यह भी कहा कि अगर उन्होंने (लोगों ने) कांग्रेस उम्मीदवार को वोट नहीं दिया तो उन्हें लगेगा कि कलबुर्गी में अब उनके लिए 'कोई जगह' नहीं है।
कांग्रेस ने खरगे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि को भाजपा के मौजूदा सांसद उमेश जाधव के खिलाफ कलबुर्गी से मैदान में उतारा है। खरगे ने कहा, 'अगर आप इस बार (कांग्रेस उम्मीदवार को) अपना वोट देने से चूक गए, तो मैं सोचूंगा कि मेरे लिए यहां कोई जगह नहीं है और मैं आपका दिल नहीं जीत सका।' कांग्रेस नेता ने इस सीट से 2009 और 2014 में चुनाव जीता था लेकिन 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'आप हमें (कांग्रेस को) वोट दें या नहीं, लेकिन अगर आपको लगता है कि मैंने कलबुर्गी के लिए काम किया है तो कम से कम मेरे अंतिम संस्कार में जरूर आएं।'
उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा और आरएसएस की विचारधारा को 'हराने' के लिए अपनी आखिरी सांस तक राजनीति में बने रहेंगे। खरगे ने जोर देकर कहा, 'मेरा जन्म राजनीति के लिए हुआ है। मैं चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं, लेकिन इस देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक प्रयास करूंगा। मैं राजनीति से संन्यास नहीं लूंगा।' उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति पद से होती है लेकिन किसी को अपने सिद्धांतों से सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा, 'मैं भाजपा और आरएसएस की विचारधारा को हराने के लिए पैदा हुआ हूं, न कि उनके सामने आत्मसमर्पण करने के लिए।'
उन्होंने उनके साथ मंच साझा करने वाले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को भी उनके सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, 'मैं सिद्धरमैया से बार-बार कहता हूं कि आप मुख्यमंत्री या विधायक के रूप में सेवानिवृत्त हो सकते हैं, लेकिन आप तब तक राजनीति से संन्यास नहीं ले सकते जब तक आप भाजपा और आरएसएस की विचारधारा को नहीं हरा देते।'