हमीरपुर। जिला हमीरपुर की सहकारी समिति बल्यूट में 10 वर्ष पहले हुए ऑडिट में सामने आए करीब 2 करोड़ रुपए (अब ब्याज सहित करीब 3 करोड़ रुपए) गबन के मामले में लोगों को न्याय मिलने में थोड़ा वक्त लग सकता है। इस मामले में सहकारिता विभाग ने तत्कालीन सचिव, सहायक सचिव व तत्कालीन प्रबंधन समितियों के सदस्यों की जिम्मेदारी तय की थी लेकिन सहायक सचिव अपना पक्ष लेकर कोर्ट में चला गया है, जिस कारण अब कोर्ट से फैसला आने के बाद ही अगली कार्यवाही होगी। समिति में क्षेत्र के लोगों की वर्षों की कमाई हुई लाखों की जमापूंजी फंसी हुई है। बता दें कि वर्ष 2012-13 के ऑडिट में समिति में 1.92 करोड़ रुपए के घपले का मामला सामने आया था, जिसके बाद मई 2014 में ऑडिट टीम ने अपनी रिपोर्ट विभाग को दी। रिपोर्ट के बाद विभाग ने इस मामले में अपनी जांच की तथा मार्च 2017 में फाइनल जांच रिपोर्ट सबमिट की।
इस मामले में इस वर्ष अप्रैल में विभाग ने तत्कालीन सचिव, सहायक सचिव व तत्कालीन प्रबंधन समितियों के सदस्यों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनको नामजद किया था। सहकारी सभाएं एक्ट के अनुसार जब किसी की जिम्मेदारी तय की जाती है तो पैसों की रिकवरी के लिए संबंधित व्यक्ति की जमीन की नीलामी की जाती है। अगर संबंधित व्यक्ति के नाम पर भूमि न हो तो उसके उत्तराधिकारियों की जमीन कुर्क कर रिकवरी की जाती है। बता दें कि इस मामले में करीब 1.92 करोड़ का गबन निकला था लेकिन वर्तमान में ब्याज की राशि को जोड़कर 2.92 करोड़ रुपए हो गए हैं। गबन के इस मामले में समिति ने 186 ऋण स्वीकृत किए थे, जिनमें से केवल 1 ऋणदाता ही सही पाया गया था। 185 ऋणदाताओं में से अधिकतर के नाम व पते ही फर्जी थे तो शेष लोगों ने ऋण न लेने की बात कही थी तथा उनके फर्जी हस्ताक्षरों पर ऋण स्वीकृत करने का खुलासा जांच में हुआ था। सहायक पंजीयक सहकारिता विभाग हमीरपुर वीना भाटिया ने बताया कि बल्यूट सहकारी समिति गबन मामले में नामजद तत्कालीन सहायक सचिव ने अपना पक्ष माननीय न्यायालय में रखा है। न्यायालय से फैसला आने के बाद ही अगली कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। लोगों को न्याय अवश्य मिलेगा।