असम-मिजोरम सीमा विवाद, हर करने की हुई कई कोशिशें लेकिन नहीं निकल पाया नतीजा

असम और मिजोरम का सीमा विवाद पुराना मसला है। अब तक इसे हल करने के लिए कई कोशिशें हुई हैं

Update: 2021-07-26 18:28 GMT

असम और मिजोरम का सीमा विवाद पुराना मसला है। अब तक इसे हल करने के लिए कई कोशिशें हुई हैं, लेकिन खास नतीजा नहीं निकल पाया है। 2018 में हुई हिंसा के बाद पिछले साल अगस्त में फिर मामला उभरा था। इस साल फरवरी में हालात गड़बड़ाए थे लेकिन केंद्र के हस्तक्षेप से स्थिति संभल गई थी। आइए जानें इस विवाद को लेकर कुछ तथ्‍य...

डेढ़ सौ बरस पुरानी है जड़
इस विवाद की जड़ सीमांकन को लेकर 1875 और 1933 में आए दो अलग-अलग नोटिफिकेशन में है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम का मानना है कि सीमांकन 1875 के नोटिफिकेशन के आधार पर होना चाहिए। मिजो नेता इस तर्क के आधार पर 1933 के सीमांकन नोटिफिकेशन को खारिज करते हैं कि इसमें मिजो समाज से बात नहीं की गई। वहीं, असम सरकार 1933 के सीमांकन को मानती है और इसी में विवाद है।
दोनों ही राज्‍य लगाते रहे हैं एक दूसरे पर आरोप
मिजोरम के तीन जिले आइजल, कोलासिब और मामित की 164.6 किलोमीटर की सीमा असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों से लगती हैं। मिजोरम का आरोप है कि असम ने इसके कोलासिब जिले के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया है। वहीं, असम के अधिकारी कहते हैं कि मिजोरम ने उसके हैलाकांडी जिले में 10 किलोमीटर अंदर तक निर्माण किया हुआ है और केले आदि की खेती को बढ़ावा दिया है।
कुछ अन्य राज्यों के सीमा विवाद
महाराष्ट्र और कर्नाटक में सीमा विवाद है।
महाराष्ट्र वहां के कुछ मराठी भाषी सीमाई इलाकों को अपनी सीमा में चाहता है।
कर्नाटक और केरल के बीच केरल के कासरगोड़ जिले को लेकर विवाद है।
नदियों की धारा में बदलाव के चलते उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ सीमाई इलाकों में विवाद रहता है।
ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच 63 गांवों को लेकर विवाद है, जो अभी ओडिशा की सीमा में आते हैं।
ओडिशा का छत्तीसगढ़ के साथ भी सात गांवों को लेकर विवाद है।
ओडिशा और बंगाल के बीच ओडिशा के बालासोर और मयूरभंज जिले के पांच गांवों को लेकर विवाद है।
हरियाणा और पंजाब के बीच चंडीगढ़ को लेकर विवाद रहा है।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में शिमला व देहरादून जिलों के बीच छह स्थानों पर विवाद है।


Tags:    

Similar News

-->