असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत पर साधा निशाना, भड़काऊ भाषण पर कही ये बात

Update: 2022-06-04 02:06 GMT
दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) सुप्रीम कोर्ट का 'अनादर' करते हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल हुआ और बाद में कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा 'ऐतिहासिक कारणों' के चलते यह आवश्यक था. उन्होंने पूछा कि क्या संघ ज्ञानवापी मामले में भी यही तरीका अपनाएगा? हैदराबाद से सांसद ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के गुरुवार के भाषण पर प्रक्रिया देते हुए कई ट्वीट किए, जिसमें भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा था कि ज्ञानवापी विवाद में आस्था से जुड़े कुछ मुद्दे शामिल हैं और इसपर अदालत के फैसले को सभी मानें.

ओवैसी ने ट्वीट किया, 'ज्ञानवापी को लेकर भागवत के भड़काऊ भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि बाबरी के लिए आंदोलन ऐतिहासिक कारणों से आवश्यक था. दूसरे शब्दों में, आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं किया और मस्जिद के विध्वंस में भाग लिया. क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे?' मोहन भागवत के 'हर मस्जिद में शिवलिंग तलाशने की जरूरत नहीं' संबंधी बयान पर भी कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं और विचारधारा के स्तर पर कई विरोधियों ने भी उनके बयान का स्वागत करते हुए इसे राजनीतिज्ञों जैसा बताया है. वहीं, संगठन से जुड़े लोगों ने इसे सतत रूप से जारी विचार परंपरा का प्रतिनिधित्व बताया. नागपुर में आरएसएस के तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा था कि ज्ञानवापी विवाद में आस्था के जुड़े कुछ मुद्दे शामिल हैं और इस पर अदालत का फैसला सर्वमान्य होना चाहिए और हर मस्जिद में शिवलिंग तलाशने और रोजाना एक नया विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है. उनके इस बयान पर ओवैसी ने कहा कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इस बात पर जरा भी यकीन नहीं है कि उनका संगठन ज्ञानवापी के लिए आंदोलन नहीं करेगा.

ओवैसी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और और मोहन भागवत द्वारा देश में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के आश्वासन पर भी कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी जैसे मामलों में आश्वासन देने के लिए मोहन भागवत या जे पी नड्डा कौन हैं? उनको ऐसा कहने का कोई हक नहीं है, क्योंकि उनके पास कोई संवैदाधानिक पद नहीं है. ओवैसी ने कहा कि जबरन धर्मांतरण एक झूठ है और भागवत व उनके जैसे लोग यह स्वीकार नहीं कर सकते कि आधुनिक भारत में पैदा हुए लोग भारतीय नागरिक हैं.

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