वक्फ कानून में संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की खबर, भड़के असदुद्दीन ओवैसी
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन करने की तैयार में है. सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी. इन संशोधनों के पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित हो जाएंगी. सूत्रों के अनुसार, इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है.
सूत्रों ने कहा, 'प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए सभी दावों को अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा. वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्तियों के लिए एक अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया प्रस्तावित है.' सूत्रों के मुताबिक, इन संशोधनों का बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किए जाने की संभावना है. वक्फ बोर्ड लगभग 940,000 एकड़ में फैली लगभग 870,000 संपत्तियों की देखरेख करता है. साल 2013 में, यूपीए सरकार ने मूल वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन के माध्यम से वक्फ बोर्ड के अधिकार को मजबूत किया था.
यह अधिनियम 'औकाफ' को रेगुलेट करने के लिए स्थापित किया गया था. एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को 'औकाफ' कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करता है. प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके समावेशिता को बढ़ाना है. उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता मोहसिन रजा ने कहा, 'पूरे देश और समाज की मांग थी कि ऐसा कानून आना चाहिए. वक्फ बोर्ड ने 1995 के कानून का बहुत दुरुपयोग किया है.'
केंद्र सरकार के वक्फ एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव पर राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए प्रस्तावित बिल का प्रारूप क्या है ये देखना होगा. बिहार में नीतीश कुमार ने वक्फ की संपत्ति के मैनेजमेंट के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं. वक्फ की संपत्ति पर छात्रावास, शॉपिंग मॉल से लेकर यतीमखाना तक बनवाया गया है. हमें उम्मीद है बिहार के वक्फ मॉडल पर केंद्र सरकार काम करेगी.
राजद प्रवक्ता मृतुंजय तिवारी ने कहा कि सरकार की निगाह कहीं और है, निशाना कहीं और. किसी धर्म विशेष को टारगेट करना, विवादित मुद्दों को उठाना, असली मुद्दों पर चर्चा न हो इसलिए केंद्र की मौजूदा सरकार ये तरीके अपनाती है. जदयू और टीडीपी बीजेपी के सहयोगी दल हैं. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को बताना चाहिए की ये क्या हो रहा है. देश अपने नियम और कानून से चलेगा, विपक्ष मजबूत है.
हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'वक्फ एक्ट में ये संशोधन वक्फ संपत्तियों को छीनने के इरादे से किया जा रहा है. यह संविधान में दिए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रहार है. आरएसएस की शुरू से ही वक्फ संपत्तियों को छीनने की मंशा रही है.' ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, 'हमारे पूर्वजों ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया और उन्होंने इसे इस्लामी कानून के तहत वक्फ का बना दिया. इसलिए जहां तक वक्फ कानून का सवाल है, यह जरूरी है कि संपत्ति का उपयोग केवल उन धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए जिनके लिए इसे हमारे पूर्वजों ने दान किया था.
उन्होंने कहा, 'यह कानून है कि एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ बन जाती है, तो उसे न तो बेचा जा सकता है और न ही हस्तांतरित किया जा सकता है. जहां तक संपत्तियों के प्रबंधन का सवाल है, हमारे पास पहले से ही वक्फ अधिनियम 1995 है और फिर 2013 में कुछ संशोधन किए गए थे और वर्तमान में, हमें नहीं लगता कि इस वक्फ अधिनियम में किसी भी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता है. यदि सरकार को लगता है कि संशोधन की कोई जरूरत है, तो पहले हितधारकों से सलाह-मशविरा करना चाहिए और उनकी राय लेनी चाहिए. सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि वक्फ संपत्तियों का लगभग 60% से 70% हिस्सा मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों के रूप में है.'
वक्फ एक्ट में संशोधन की संभावना पर इतिहासकार और मुस्लिम विद्वान एस इरफान हबीब ने कहा, 'सवाल सरकार की नीयत पर है कि कहीं वह वक्फ की जमीनों को हड़पना तो नहीं चाहती.अगर कोई कानून आ रहा है, अच्छे के लिए तो आना चाहिए. जैसा की बात हो रही है, महिलाओं को भी इसका हिस्सा होना चाहिए. 1954 में जब वक्फ बोर्ड बनाया गया था, तब उसकी नीयत अच्छी थी. लोग अपनी संपत्ति वक्फ के नाम करते थे, जिस पर मदरसे, इमामबाड़े बनते थे, या दूसरे काम होते थे. लेकिन वहां भी बहुत गड़बड़ी हुई है. हमारे अपने मजहब के लोगों ने ही वक्फ की जमीनों में धांधली की है.'
मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी को वक्फ को डोनेट किया ताकि उसका इस्तेमाल मुसलमानों की तरक्की के लिए हो सके. हमारे पास वक्फ एक्ट पहले से है, वक्फ बोर्ड का गठन इसीलिए हुआ ताकि वक्फ प्रॉपर्टी का सही से इंतजाम किया जा सके. मौलाना निजामी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह वक्फ बोर्ड के हाथों को मजबूत करे. बोर्ड की प्रॉपर्टी पर जहां कब्जा है उसे खाली कराया जाए.
उन्होंने कहा कि अगर सरकारी कब्जा खाली नहीं कराया जा सकता है, तो उस प्रॉपर्टी का किराया वक्फ बोर्ड में जमा हो. कानून किसी भी मसले का समाधान नहीं होता है. समाधान तब होता है, जब उस कानून का सही इंप्लीमेंटेशन हो. अगर वक्फ की कोई शिकायत सरकार के पास है, किसने बेचा है किसने खरीदा है और नाजायज तरीके से किया गया है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाए. मुसलमानों को कार्रवाई से ऐतराज नहीं होगा.