Arvind Kejriwal: अरविंद केजरीवाल आज रिहा नहीं होंगे, हाईकोर्ट का रोक बरकरार

Update: 2024-06-21 11:27 GMT
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत वाली खुशी पर फिलहाल ब्रेक लग गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाते हुए कहा कि 2-3 दिन में फैसला सुनाया जाएगा। गुरुवार शाम राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत की अवकाशकालीन बेंच ने केजरीवाल को जमानत दी थी।
जस्टिस सुधीर कुमार जैन की अवकाशकालीन बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने ईडी की प्राथमिक दलीलें सुनने के बाद मामले पर तुरंत सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने को कहा। कोर्ट ने निचली अदालत से आदेश की कॉपी और फाइल भी मंगवाई। साथ ही सुनवाई पूरी होने तक बेल ऑर्डर पर अमल रोक दी।
कोर्ट में दोपहर एक बजे सुनवाई शुरू होने के बाद अरविंद केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने जज न्याय बिंदु के फैसले को लेकर ईडी की टिप्पणी पर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को कुछ समय के लिए बेल दी थी। आदेश का ट्रायल कोर्ट जज ने जिक्र किया है।... इस मामले को आवकाशकालीन बेंच के सामने उठाने की बेचैनी क्यों थी। चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दोषी करार नहीं दिए गए हैं। उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है और मामला लंबे समय से लंबित है... स्टे का कोई सवाल नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा, 'हम आपको सुनेंगे। सभी को बराबर मौका मिलना चाहिए। पहले मिस्टर राजू को शुरू करने दीजिए। हम आपको भी सुनेंगे।'
एएसजी ने कहा कि उन्हें ठीक से सुना नहीं गया। एसएसजी ने कहा, 'इसी आधार पर ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज कर देना चाहिए। कृपया ट्रायल कोर्ट के आदेश को देखिए। कोर्ट ने हमें सुना नहीं। हमारी तरफ से दिए गए दस्तावजे नहीं देखे और कहा कि बहुत ज्यादा है। कोर्ट ने कहा कि भारीभरकम दस्तावेज दायर किए गए हैं। इससे विकृत आदेश नहीं हो सकता है।'
ईडी ने कहा कि कोर्ट ने दस्तावेज नहीं देखे। यह अदालत की जिम्मेदारी है कि दस्तावेजों पर विचार करे। आप इन्हें देखे बिना कैसे कह सकते हैं कि ये प्रासंगिक नहीं। एएसजी ने कहा कि आवेदक (केजरीवाल) ने के गलत बयान पर भी कोर्ट ने कह दिया कि यह गैरविवादित है। उन्होंने आगे कहा, 'ट्रायल कोर्ट के आदेश में लिखा गया है कि ECIR 22 अगस्त 2022 का है, लेकिन इसे जुलाई 2022 में दर्ज किया गया था। हमने सभी तारीखों के साथ नोट दिए थे, लेकिन विचार नहीं किया गया।'
एएसजी ने कहा कि माननीय अदालत (हाई कोर्ट) के फैसले पर विचार नहीं किया गया। एक सिंगल जज ने कहा कि अरेस्ट गलत है, इसमें कुछ गलत नहीं। बुरे इरादे से गिरफ्तारी की बात को इस अदालत ने खारिज किया था। इस पर जज ने हाई कोर्ट का आदेश मांगा। उन्होंने कहा कि कुछ तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट ने भी दरकिनार नहीं किया। उन्होंने कहा, 'संजय सिंह के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट जमानत पर विचार कर सकता है बिना हाई कोर्ट के आदेश से प्रभावित हुए, सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा।'
ईडी ने कहा कि हाई कोर्ट ने कहा कि कोई बदनीयत नहीं है, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने कहा कि नीयत को गलत बताया। यह हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत है। एएसजी ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में बदनीयति की दलीलों को ध्वस्त कर दिया था, जोकि ट्रायल कोर्ट के लिए बाध्यकारी है। एएसजी ने कहा कि यदि बेल के लिए अप्रासंगिक मैटिरियल पर विचार किया गया है तो इसे खारिज किया जा सकता है। ऐसे कई फैसले हैं।
लंच ब्रेक के बाद एएसजी ने अपनी दलीलें जारी रखते हुए कहा- आदेश में कहा गया है कि ईडी प्रत्यक्ष सबूत नहीं दे पाई। हमने डायरेक्ट सबूत दिए हैं। मंगुटा रेड्डी का बयान है। आप मेरे खिलाफ फैसला कर सकते हैं, लेकिन गलत तथ्य मत दीजिए। ईडी ने कहा, 'यह किस तरह का फैसला है? सीधा सबूत है। शख्स कह रहा है कि केजरीवाल ने मुझे 100 करोड़ देने को कहा। यह अपराध है।'
एएसजी ने अपनी जिरह पूरी की। बचाव पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखना शुरू किया। सिंघवी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि निचली अदालत में जमानत याचिका पर पांच घंटे तक जिरह चली। एएसजी राजू ने करीब 3 घंटे 45 मिनट का समय लिया और फिर ट्रायल जज को दोषी ठहराया जा रहा है। सिंघवी ने कहा कि ईडी पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। हर तर्क, हर प्रस्तुति में पूरी तरह से पक्षपात है।
सिंघवी ने कहा- यदि एससी ने कहा कि गिरफ्तारी गलत है, जमानत स्वभाविक है। दूसरी बात जस्टिस शर्मा (हाई कोर्ट) ने अपने आदेश में कहा था कि वह बेल नहीं बल्कि अरेस्ट का मामला सुन रही हैं। ईडी ने 20 मिनट से अधिक समय तक इस पर दलील दी पर इसे बताना भूल गई।
सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आप जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं। मेरा प्रश्न यह है कि यदि जस्टिस शर्मा का निर्णय अंतिम था जैसा कि ईडी ने सुझाया है तो सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट स्वतंत्रता क्यों दी। दूसरा यदि अवैध गिरफ्तारी की कार्यवाही को जमानत के साथ मिलाया जा सकता है जैसा कि ईडी कर रहा है तो सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर जाने और अवैध गिरफ्तारी पर आदेश सुरक्षित रखने के बीच अंतर क्यों किया। सिंघवी ने कहा कि मैं खुद से यह सवाल पूछकर इस मुद्दे को खत्म करना चाहता हूं किए ईडी ने इस पर 20 मिनट क्यों खर्च किए वे संजय सिंह के मामले में गए। भगवान का शुक्र है कि वे सिसोदिया के मामले में नहीं गए। ट्रायल कोर्ट के फैसले को जिस तरह से लिखा जाता है और पढ़ा जाता है, उसे लेकर पूरी तरह से गलतफहमी है।
सिंघवी ने कहा- इस तरह के मामले में स्टे का मतलब जमानत रद्द करना है। हर बार यह कहा जाता है कि ट्रायल कोर्ट ने उस तर्क को नोट नहीं किया या उस पर विचार नहीं किया। ट्रायल कोर्ट को निबंध लिखने की जरूरत नहीं है। इसमें कोई विकृति नहीं है। ईडी कानून को दरकिनार करने की कोशिश कर रही है। सिंघवी ने स्टे ना लगाने की अपील करते हुए कहा कि यह मुझे (केजरीवाल) दोबारा जेल भेज देगा।
सिंघवी ने कहा- केजरीवाल सीबीआई की एफआईआर या ईडी की ईसीआईआर में आरोपी नहीं थे। सिंघवी के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए और कनेक्शन में बाधा आने पर विक्रम चौधीरी ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। उन्होंने कहा, 'कोर्ट ने कहा है कि ईडी ने 182 पन्नों का जवाब दाखिल किया था। जज ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुना। उन्होंने अपने तरीके से तर्कों को नोट किया।'
सिंघवी ने दोबारा जुड़ते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में एक टाइपो है और ईडी इस टाइपों का फायदा उठा रही है।
सिंघवी ने केस में तारीखों की सूची का जिक्र किया। सिंघवी ने कहा, 'ट्रायल कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल 2022 से केस में शामिल नहीं हैं, लेकिन प्रक्रिया 2022 से शुरू हुई थी। सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में चार लोगों के बयान रिकॉर्ड किए गए और किसी ने मेरे बारे में कुछ नहीं कहा था।' सिंघवी ने कहा- मंगुटा रेड्डी (राघव मंगुटा के पिता) ने सेक्शन 164 में बयान दर्ज कराया और कहा कि मैंने शराब कारोबार के बारे में बात की। कृपया नोट करिए इस समय तक तीन गिरफ्तारी हो चुकी थी। नवंबर 2022 और फरवरी 2023 में गिरफ्तारी हुई थी। बुची बाबू ने हिरासत में मेरे खिलाफ बयान दिया और उसे तुरंत बेल मिल गई।
सिंघवी ने कहा- तब कुछ बहुत दिलचस्प हुआ। मंगुटा रेड्डी ने पूरी तरह मेरे पक्ष में बयान दिया। उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। अब इस मंगुटा रेड्डी, उसके बेटे (राघव) को गिरफ्तार कर लिया गया। वह जेल से बाहर जाना चाहता है। वह कहता है कि पत्नी ने आत्महत्या की कोशिश की। इस आवेदन का ईडी ने विरोध किया। इसके तुरंद बाद उसके पिता ने मुझे पर आरोप लगाए। अगले ही दिन उसके बेटे को जमानत मिल गई, ईडी ने कोई विरोध नहीं किया। राघव मंगुटा को जमानत मिल गई और फिर माफी दे दी गई। सिंघवी ने शरद रेड्डी के बयानों का भी जिक्र किया।
केजरीवाल की ओर से कहा गया, 'मेरे पास एक पैसा भी नहीं मिला है।' सिंघवी ने कहा- ईडी पेपर एनकाउंटर कर रही है। सिंघवी ने कहा कि न्यायालय ने पीएमएलए की धारा 45 पर सही विचार किया है। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि धारा 45 जमानत पर रोक नहीं लगाती है।

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