गांव से आया था कलाकार, मिली शोहरत, अब लगा मर्डर का आरोप
जानिए क्या है पूरा मामला
उदयपुर। उदयपुर एक कलाकार जिसने अपनी कला की यात्रा राजस्थान के छोटे से गांव से शुरू की और विदेश में जाकर कला का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किया। उसकी जिंदगी कभी इस तरह का मोड़ लेगी कि वो सलाखों के पीछे पहुंच जाएगा, ये किसी ने नहीं सोचा था। आज जिसे भी इसके बारे में पता चलता है, वो यकीन नहीं कर पाता। हम बात कर रहे हैं ब्रिटेन के प्रतिष्ठित चार्ल्स वालेस फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित राजस्थान के कलाकार चिंतन उपाध्याय की। चिंतन को अपनी पत्नी हेमा उपाध्याय और वकील हरेश भंभानी की हत्या के मामले में अदालत ने दोषी पाया गया है।
बांसवाड़ा से निकल कर गुजरात और फिर मुंबई पहुंचा: चिंतन मूलत: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के परतापुर के रहने वाले हैं। चिंतन ने शुरुआत चित्रकार के रूप में की, लेकिन मूर्तिकार के रूप में प्रसिद्धि पाई। वे पढ़ाई के सिलसिले में परतापुर से पहले गुजरात गए और बाद में करियर के लिए सालों पहले मुंबई जाकर बस गए। उन्हें 2012 में ब्रिस्टल, यूके में रेजीडेंसी के लिए चार्ल्स वालेस फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चिंतन के पिता डॉ. विद्यासागर उपाध्याय भी अंतरराष्ट्रीय आर्टिस्ट हैं और पत्नी के साथ कई वर्षों से जयपुर में निवासरत हैं। हेमा उपाध्याय और हरेश भंभानी की 11 दिसंबर 2015 को हत्या कर दी गई थी और उनके शव कार्डबोर्ड के डिब्बों में मुंबई के कांदिवली में एक गड्ढे में मिले थे। मुंबई की सत्र अदालत ने पत्नी हेमा और उनके वकील हरेश भंभानी की हत्या के मामले में चिंतन को दोषी ठहराया। इस हत्याकांड के तुरंत बाद ही चिंतन को पत्नी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट से उसे जमानत मिल गई।