Karnataka कर्नाटक : स्वास्थ्य विभाग ने लाइलाज बीमारियों से पीड़ित लोगों को उनकी इच्छा के अनुसार इच्छामृत्यु प्रदान करने का आदेश जारी किया है।
विभाग ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उठाया है और मरने का अधिकार प्रदान किया है। आदेश में कहा गया है, "संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्मान के साथ जीने और मरने का अधिकार दिया गया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले फैसला दिया था कि अगर मरीज को इलाज से ठीक होने की उम्मीद नहीं है, तो चिकित्सा उपचार रोका जा सकता है। इसके अनुसार इच्छामृत्यु का अधिकार दिया जा सकता है।"
यह अधिकार देते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा। इलाज करने वाले डॉक्टर की मंजूरी लेनी होगी। जिस अस्पताल में मरीज का इलाज चल रहा है, वहां प्राथमिक और द्वितीयक मेडिकल बोर्ड भी बनाने होंगे। इनमें से प्रत्येक में तीन पंजीकृत डॉक्टर होंगे। बताया जाता है कि ये मेडिकल बोर्ड इच्छामृत्यु की अनुमति देने पर फैसला लेंगे।
इस प्रक्रिया में मरीज के अभिभावक की सहमति भी जरूरी है। बोर्ड के निर्णय की एक प्रति प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) को प्रस्तुत की जानी चाहिए, उसके बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए। जेएमएफसी की प्रतियां पंजीकरण के लिए उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को भेजी जाती हैं। इसमें कहा गया है कि 'लिविंग विल' एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें व्यक्ति चिकित्सा उपचार के संबंध में अपनी इच्छाएं दर्ज कर सकता है। आदेश में उल्लेख किया गया है कि यदि इस प्रक्रिया के दौरान रोगी अपनी निर्णय लेने की क्षमता खो देता है, तो उसकी ओर से कम से कम दो लोगों को नामित किया जाना चाहिए।