नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गुजरात में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। गुजरात के पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने कांग्रेस के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा। इसके साथ ही उन्होंने गुजरात विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी से जाकर मुलाकात की और विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद अर्जुन मोढवाडिया कांग्रेस पर जमकर बरसे। उन्होंने गांधीनगर में मीडिया से बात करते हुए कहा, "आज मैंने गुजरात कांग्रेस के हर पदों से इस्तीफा दे दिया है, मैं स्टूडेंट से लेकर आज तक कांग्रेस से जुड़ा था। ब्लॉक कांग्रेस से राजनीति शुरू करके विधानसभा और विरोध पक्ष के नेता के साथ प्रदेश का अध्यक्ष भी बना था। मैंने खून, पसीना देकर पार्टी को मजबूत करने की कोशिश की। लेकिन, कुछ सालों से जिस कल्पना से मैंने कांग्रेस ज्वाइन की थी, वो नहीं दिखी।
मैंने सोचा था कांग्रेस में रहकर जनता में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन लेकर आऊंगा। हमें आजादी 1947 में मिली थी, लेकिन महात्मा गांधी ने कहा था कि हमें राजकीय आजादी मिली है, आर्थिक और सामाजिक आजादी अभी बाकी है। इस कल्पना के साथ मैं कांग्रेस में काम कर रहा था। जिस तरह से कांग्रेस पार्टी जनता से दूर चली गई है। उस पर मैंने कई बार ध्यान आकर्षित करने की कोशिश भी की। लेकिन, मैं उसमें विफल रहा। इसलिए आज मैंने कांग्रेस के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अभी तक जो मेरा राजनीतिक सफर था उसमें सेंट्रल और स्टेट लीडरशिप का आभार व्यक्त करता हूं।''
अर्जुन मोढवाडिया ने राम मंदिर का जिक्र कर कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि जब अयोध्या के रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला था, तब मैंने खुले तौर पर कहा था इसका निमंत्रण अस्वीकार करना जनता के विरोध स्टैंड है। हम भी चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर बने और उस फैसले के बाद मंदिर बना था। जनता की भावनाओं को आहत नहीं पहुंचनी चाहिए थी। लेकिन, उस समय भी यह बात नहीं मानी गई। इसके अलावा भी कई मुद्दे थे। हर दफा मैंने अपनी बात रखने की कोशिश की। मगर मैं सफल नहीं हो पाया और आज कांग्रेस से इस्तीफा देकर पार्टी की सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो रहा हूं। अर्जुन मोढवाडिया ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने, कांग्रेस द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण अस्वीकार करने पर लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं उन्होंने पत्र में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी निशाने पर लिया और कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के इस पवित्र मौके से ध्यान भटकाने और अपमानित करने के लिए राहुल गांधी ने असम में हंगामा खड़ा किया, जिसने हमारी पार्टी के कार्यकर्ता और भारत के लोगों को और नाराज किया है।''