एंटी ड्रोन सिस्टम: 'ड्रोन किलर' भी करेंगे पीएम मोदी की सुरक्षा, काफिले में भी रहेगा मौजूद, जानें खूबियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कड़े फैसलों के चलते लंबे समय से कट्टरपंथियों, आतंकी संगठनों और दुश्मन देशों के निशाने पर हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के आवास और काफिले की सुरक्षा को और कड़ा और मजबूत कर दिया गया है. प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा।

Update: 2020-11-30 03:27 GMT
फाइल फोटो 

नई दिल्ली. कोरोना और लॉकडाउन के बाद भारत अपने हर क्षेत्र को मजबूत कर रहा है. रक्षा क्षेत्र (Defense sector) को मजबूत करने के कई प्रयास किये जा रहे हैं. इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( Defence Research and Development Organization, DRDO) ने भारतीय सेनाओं (Indian Army) के लिए बेहद जरूरी एंटी ड्रोन्स सिस्टम्स के विकास और उत्पादन की जिम्मेदारी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को सौंपी है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये एंटी-ड्रोन सिस्टम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सुरक्षा का भी हिस्सा होंगे. इन पोर्टेबल 'ड्रोन किलर' को उनके हर काफिले में मौजूद रखा जाएगा, ताकि किसी भी तरह का खतरा न हो.

दरअसल, पाकिस्तानी आतंकवादी लाइन ऑफ कंट्रोल और इंटरनेशनल बॉर्डर के पार जम्मू-कश्मीर में हथियार भेजने के लिए चाइनीज निर्मित कॉमर्शियल ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. डीआरडीओ ने पैसिव और एक्टिव एंट्री ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित की है जिससे दुश्मन के ड्रोन्स को निष्क्रिय कर कुछ ही पलों में ध्वस्त किया जा सकता है.
जानिए क्यों खास है ये ड्रोन्स सिस्टम
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि डीआरडीओ चीफ सतीश रेड्डी जल्द ही देसी एंटी ड्रोन्स सिस्टम के उत्पादन को लेकर सेनाओं को सूचित करेंगे. इस साल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर तैनात किए गए एंटी ड्रोन सिस्टम्स की रेंज 2-3 किलोमीटर तक है. इसका रडार ड्रोन को ढूंढने के साथ फ्रीक्वेंसी सिग्नल के जरिए यूएवी को जाम कर देता है. दूसरा विकसित विकल्प ड्रोन को स्पॉट करने के बाद लेजर बीम से टारगेट करने का है.
एलओसी पर हुई ड्रोन्स की टेस्टिंग
एक तरफ डीआरडीओ ने सिस्टम डिवेलप कर लिया है तो प्राइवेट सेक्टर ने भी सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ एंटी ड्रोन सिस्टम डिवेलप किया है. जानकारी के मुताबिक, इन ड्रोन्स की टेस्टिंग एलओसी पर की गई है और यह दुश्मन के हवाई खतरे को नाकाम करने में सफल रहा है.



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