आजाद के इस्तीफे पर आनंद शर्मा ने कहा, "यह एक गंभीर घटनाक्रम है और इससे सभी कांग्रेसियों को पीड़ा होगी। मैं व्यक्तिगत रूप से स्तब्ध हूं। यह स्थिति पूरी तरह से टालने योग्य थी। हमें उम्मीद थी कि गंभीर आत्मनिरीक्षण होगा लेकिन दुर्भाग्य से, वह प्रक्रिया उलट गई।" उन्होंने कहा, "जाहिर है कि वे बहुत आहत हुए होंगे। इस स्थिति को आने से बचाई जा सकती थी और यह बात समय-समय पर बताई भी गई। हम निरंतर कमजोर होते जा रहे हैं। हमारा यही लक्ष्य रहा है कि राय मशवरा करके उसको हम सुधार सकें।"
आजाद के इस्तीफे को, पहले से ही समस्याओं का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी पर एक और आघात माना जा रहा है । पूर्व में कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं जिसमें कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार आदि शामिल हैं । गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पांच पृष्ठ के त्यागपत्र में अपनी शिकायतों का सिलसिलेवार उल्लेख किया।
आजाद ने कहा कि वह 'भारी मन' से यह कदम उठा रहे हैं। उन्होंने पार्टी को ''पूरी तरह से बर्बाद हो गई'' बताया और कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये और प्रदेश स्तर पर क्षेत्रीय दलों के लिये स्थान खाली कर दिया। आजाद ने आरोप लगाया, '' यह सब इसलिये हुआ क्योंकि बीते आठ वर्षो में नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को पार्टी पर थोपने का प्रयास किया जो गंभीर नहीं था।''