मिलता जुलता प्रोडक्ट बेचने का आरोप: 15 लाख का जुर्माना...17 साल बाद आया ये फैसला
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कैडबरी जेम्स के साथ लगभग सभी के बचपन की यादें जुड़ी हैं. दरअसल, कैडबरी ने 17 साल पहले एक भारतीय कंपनी पर उसके प्रोडक्ट जेम्स से मिलता-जुलता प्रोडक्ट बेचने का आरोप लगाया था और तब से ही भारतीय कंपनी और कैडबरी के बीच दिल्ली हाई कोर्ट में केस चल रहा था.
कैडबरी इंडिया लिमिटेड ने 2005 में भारतीय कंपनी 'नीरज फूड प्रोडक्ट्स' के खिलाफ उनके प्रोडक्ट के नाम से मिलती जुलते प्रोडक्ट के चॉकलेट बटन बेचने के खिलाफ अदालत का रुख किया था. इस प्रोडक्ट की पैकेजिंग, कलर, लेआउट सब कुछ 'कैडबरी जेम्स' से मिलता-जुलता था.
कैडबरी ने अपनी याचिका में कोर्ट से यह भी कहा कि 'जेम्स बॉन्ड' नाम का इस्तेमाल उनकी कंपनी पिछले कई सालों से मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के तौर पर अपने विज्ञापन में करती आई है. मामला पिछले 17 साल से अदालत में है. इस केस 2005 में अंतरिम निषेधाज्ञा का आदेश पारित हुआ था. फिर 2008 में भी ऐसा ही आदेश पारित किया गया.
कोर्ट में केस पहुंचने के बाद 2011 में मामले को अदालत के बाहर निपटाने की कोशिश की गई, लेकिन यह प्रयास असफल रहा. आखिर 2013 में अदालत में मामले पर सुनवाई शुरू की गई. तब से लेकर अब तक यह मामला लंबित था. मंगलवार को न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह की दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अपना अंतिम फैसला सुनाया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने नीरज फूड्स को भ्रामक रूप से समान पैकेजिंग और नाम के साथ चॉकलेट बटन बेचने से रोक दिया है. उन्हें कैडबरी की मूल कंपनी मोंडेलेज इंडिया लिमिटेड को मुकदमेबाजी की लागत के रूप में 15.8 लाख से अधिक का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है.