Shimla. शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज व अस्पताल में बुधवार से सभी टेस्ट शुरू होने वाले थे, परंतु आईजीएमसी में कोई भी टेस्ट पूरी तरह से शुरू नहीं हो पा रहे हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज व अस्पताल में आए दिन या तो मशीन खराब रहती है या फिर मरीजों के रूटीन के टेस्ट समय से नहीं हो पाते हैं। यही नहीं, हफ्तेभर पहले इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट शुरू हुआ था, परंतु अब फिर बंद हो चुका है। सरकारी लैब में विभिन्न विभागों के अधिकतर टेस्ट, जिसमें थायराइड, शुगर टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल टेस्ट एचडीएल टेस्ट नहीं हो रहें है और मरीजों को मजबूरन क्रसना लैब की कतारों में खड़ा कर दिया जाता है। हाल ही में आईजीएमसी अस्पताल के सरकारी लैब में सिर्फ एक ही टेस्ट शुरू हो चुका है। कंप्लीट हीमोग्राम सीएचजी टेस्ट शुरू हो चुका है। ये टेस्ट एक महीने से अस्पताल में बंद था।
बता दें कि रिजेंट किट न होने की वजह से शुगर टेस्ट, लिपिड, थायराइड टेस्ट और हेमेटोलॉजी का कंप्लीट हिमोग्राम के टेस्ट दो महीने से नहीं हो रहे हैं। बायोकेमिस्ट्री और पैथोलॉजी विभाग में करोड़ों की मशीनें और पूरा स्टाफ होने के बावजूद मरीजों के टेस्ट करने में आनाकानी की जाती है और मरीजों को मजबूरन क्रसना लैब में टेस्ट करवाने के लिए एक बजे के बाद का इंतजार करना पड़ता है, जिससे मरीजों के कुछ टेस्ट सरकारी लैब में तो कुछ एक बजे के बाद निजी क्रसना लैब में होते है। इससे मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट न तो समय पर आती है और न ही मरीजों का उपचार समय से हो पाता है। आईजीएमसी में हर दिन हजारों की संख्या में मरीज इलाज करवाने आते हैं। ऐसे में सुबह सरकारी लैब में टेस्ट करवाने आए मरीजों को कुछ टेस्ट के लिए दोपहर के बाद निजी क्रसना लैब में टेस्ट करवाने को कहा जाता है, जिससे मरीजों को कुछ टेस्ट सरकारी में तो कुछ टेस्ट निजी क्रसना लैब में करवाने पड़ रहे हैं। मरीजों का पूरा दिन टेस्ट करवाने में बीत जाता है। समय से उपचार न होने के कारण दूसरे दिन भी मरीजों को अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। दूरदराज के क्षेत्रों से आए मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।