AIMIM ने मुख्तार अंसारी को चुनाव लड़ने का दिया प्रस्ताव, कहा- जहां से टिकट मांगें, हम देंगे

Update: 2021-09-10 09:06 GMT

फाइल फोटो 

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा मुख्तार अंसारी को टिकट देने से इनकार के बाद एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बाहुबली विधायक को खुला ऑफर दे दिया है. ओवैसी ने कहा है कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश की जिस सीट से चुनाव लड़ना चाहता हैं, वहां का टिकट वे उनकी पार्टी से ले सकते हैं.

ओवैसी मिशन यूपी में जुट गए हैं. वे इस महीने की 22, 25, 26 और 30 तारीख को यूपी दौरे पर रहेंगे. 22 सितंबर को वे संभल, 25 को प्रयागराज, 26 को कानपुर और 30 अक्टूबर बहराइच का दौरा करेंगे.
इससे पहले बसपा ने शुक्रवार को यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ा बड़ा ऐलान किया. मायावती ने कहा, आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए. इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं, बल्कि यूपी के बीएसपी प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर का टिकट किया गया है.
मायावती के ऐलान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्तार अंसारी सपा में शामिल हो सकते हैं. इससे पहले मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह ने भी सपा का दामन थामा था. सिबगतुल्लाह अंसारी 2007 में सपा और 2012 में कौमी एकता दल से गाजीपुर के मोहम्मदाबाद विधानसभा से विधायक रहे हैं. इसके बाद 2017 में बसपा से मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अब सिबगतुल्लाह सपा में आ गए हैं.
30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद गांव में मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ. बाहुबली मुख्तार अंसारी के परिवार का इतिहास काफी अच्छा रहा है. अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वहीं, उनके नाना महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार थे.
मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट नेता थे. मऊ विधानसभा सीट से पांचवी बार विधायक मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. इनमें से आखिरी तीन चुनाव उन्होंने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े. अंसारी बुंधुओं ने 2012 में अपनी राजनीतिक पार्टी कौमी एकता दल बनाई थी. हालांकि, बाद में सपा में इसका विलय हो गया. 
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