नई दिल्ली (आईएएनएस)| अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी एआईसीटीई ने दो नए कोर्स लॉन्च किए हैं। लॉन्च किए गए दोनों कोर्स सेमीकॉनइंडिया पर आधारित हैं। इससे भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में बढ़त मिलेगी। सेमीकॉनइंडिया पर आधारित यह कोर्स, बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और आईसी मैन्युफैक्च रिंग में डिप्लोमा पाठ्यक्रम के अंतर्गत आएंगे। कई उच्च शिक्षण संस्थानों में यह पाठ्यक्रम जल्द उपलब्ध कराए जाएंगे।
विशेषज्ञों के मुताबिक वीएलएसआई क्षेत्र सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सहयोगी होगा।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 1 जनवरी 2022 को सेमीकॉनइंडिया लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य भारत को आने वाले 10 वर्षों में 85,000 सेमीकंडक्टर पेशेवरों को तैयार करना है। इसी के तहत अब नया पाठ्यक्रम विकसित किया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एआईसीटीई ने 2 नए कार्यक्रम इससे संबंधित शुरू किए हैं। पहला कोर्स सेमीकंडक्टर्स में बीटेक प्रोग्राम है और दूसरा सेमीकंडक्टर्स में डिप्लोमा प्रोग्राम है। एआईसीटीई इस विषय पर विस्तृत पहल कर रहा है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद का कहना है कि सेमीकॉनइंडिया का पूरा सिलेबस जल्द ही उनके पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
एआईसीटीई से संबंधित विश्वविद्यालयों, तकनीकी शिक्षा संस्थानों और कॉलेजों के छात्र सेमीकॉनइंडिया पाठ्यक्रम का विकल्प चुन सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सेमीकंडक्टर पर आधारित यह कोर्स छात्रों को रोजगार के बढ़िया अवसर प्रदान करने में सक्षम हैं। इसके जरिए भारतीय युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में अधिक अवसर प्राप्त हो सकेंगे। साथ ही भारतीय कंपनियों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
उच्च शिक्षण संस्थानों में एक और बदलाव देखने को मिलेगा। यूजीसी के मुताबिक विभिन्न विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएशन कर रहे छात्रों के लिए नए सत्र से इंटर्नशिप अनिवार्य होगी। इस इंटर्नशिप के माध्यम से छात्र बाजार की मांग के अनुरूप अपने कौशल का विकास करेंगे। साथ ही छात्रों को उद्योगों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण भी मिलेगा।
इसके अलावा छात्रों को फील्ड में जाकर कम्युनिटी आउटरीच और प्रोजेक्ट पर काम करना होगा। उद्योगों के साथ मिलकर इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाये जा सकते हैं। ग्रेजुएशन व पीजी के स्टूडेंट्स को बहुविकल्पीय पढ़ाई का मौका मिलेगा। अधिक-से-अधिक सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स शुरू करने होंगे, ताकि छात्रों के पास अधिक विकल्प मौजूद हो।