एआईसीटीई: वैश्विक जलवायु परिवर्तन और न्यू एनर्जी पर फेलोशिप और मेंटरशिप प्रोग्राम
नई दिल्ली (आईएएनएस)| जलवायु परिवर्तन के वैश्विक मुद्दे पर लोगों को शिक्षित करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय नए कार्यक्रम ला रहा है। यह जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक प्रयास है। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम डिजाइन किए हैं। एआईसीटीई के यह नए पाठ्यक्रम 'एनर्जी एंड क्लाइमेट फेलोशिप प्रोग्राम' और 'एनर्जी एंड क्लाइमेट मेंटरशिप प्रोग्राम' हैं। इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा को अपनाने को बढ़ावा देना भी है। एआईसीटीई के मुताबिक उसने युवाओं के साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के साथ हाथ मिलाया है और इसी के तहत यह दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किए हैं।
एआईसीटीई अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम के मुताबिक एनर्जी एंड क्लाइमेट फेलोशिप प्रोग्राम उन छात्रों को लक्षित करेगा जिन्होंने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है या अपने अध्ययन के अंतिम वर्ष में हैं। एआईसीटीई अप्रूव्ड संस्थानों से 10 उत्कृष्ट छात्रों को एनर्जी स्वराज फेलो के रूप में एक वर्ष के रूप में इस परिवर्तनकारी पहल के लिए चुना जाएगा। ये छात्र अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, फेलो व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त कर भारत भर के संस्थानों को मार्गदर्शन प्रदान करेंगे, एनर्जी स्वराज फाउंडेशन द्वारा तैयार विभिन्न कार्यों और जागरूकता योजनाओं के माध्यम से जलवायु संकट से निपटने में ये सहायता करेंगे।
कार्यक्रम का उद्देश्य स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा को अपनाने को बढ़ावा देना है।
भारत के सोलर मैन व ईएसएफ संस्थापक और आईआईटी-बी प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने कहा कि यह दोनों कार्यक्रम जीवन के सभी पहलुओं में ऊर्जा की केंद्रीयता पर जोर देंगे। उन्होंने डार्क एनर्जी का उपयोग करने से संक्रमण की समस्या पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि जलवायु संकट का मुकाबला करने और उभरते दिमाग को एक स्थायी भविष्य की ओर निर्देशित करने की ²ष्टि से, भारत जलवायु परिवर्तन को कम करने की कार्रवाई करने में 'जलवायु जागरूक और ऊर्जा के प्रति जागरूक वैश्विक नागरिक' का एक उदाहरण बन सकता है।
एआईसीटीई के मुताबिक एनर्जी एंड क्लाइमेट मेंटरशिप प्रोग्राम को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह कार्यक्रम एनर्जी स्वराज फेलो द्वारा सलाह प्रदान करेगा और 100 संस्थानों तक सीमित रहेगा। इस पहल के माध्यम से भाग लेने वाले प्रत्येक संस्थान को 15-20 दिनों की अवधि के लिए एक एनर्जी स्वराज फेलो सौंपा जाएगा, जो एनर्जी स्वराज फाउंडेशन द्वारा विकसित कार्रवाई और जागरूकता योजनाओं में उल्लिखित विभिन्न गतिविधियों को लागू करने में उनकी सहायता करेगा।
प्रो. सोलंकी ने जागरूक ऊर्जा उपयोग के माध्यम से बिजली की खपत में 20 प्रतिशत की कमी और अनावश्यक ऊर्जा व्यय से बचने की एआईसीटीई की उपलब्धि को रेखांकित किया।