नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले केंद्र और विपक्ष के बीच अग्निपथ योजना पर चर्चा हुई. इस दौरान विपक्षी खेमे ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपनी बात रखी. सूत्रों के मुताबिक रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ डेढ़ घंटे तक चली बैठक में विपक्षी सांसदों ने मांग की कि अग्निपथ योजना को या तो वापस लिया जाए या आगे की विस्तृत जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाए.
सूत्रों ने बताया कि संसद में हुई इस बैठक में भाजपा के 4 समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के 12 सांसद शामिल हुए. इस मीटिंग के बाद विपक्षी खेमे ने कहा कि उन्होंने अग्निपथ योजना को लेकर मजबूती से अपना विरोध व्यक्त किया है.
सूत्रों के अनुसार राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने बैठक में कहा कि अगर कोई बड़ा बदलाव या नीति है जो कि सरकार पेश करती है, तो यह परीक्षण या प्रयोग के आधार पर नहीं किया जाता है. बल्कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया जाता है. अग्निपथ योजना को शुरू करने का यह निर्णय सशस्त्र बलों द्वारा नहीं लिया गया था. अग्निपथ के खिलाफ देशभर में जबरदस्त हंगामा हो रहा है और हम मांग करते हैं कि इस योजना को वापस लिया जाए.
TMC सांसद सौगत रॉय ने मीडिया से कहा कि सरकार हमारे किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम नहीं थी, इसलिए विपक्ष के 6 सदस्यों ने राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर व्यापक विचार-विमर्श करने और अग्निपथ योजना को स्थायी समिति के पास भेजने के लिए कहा है.
बैठक के दौरान विपक्ष की ओर से एक ज्ञापन भी सौंपा गया. इस पर शक्तिसिंह गोहिल और कांग्रेस की रजनी पाटिल, TMC के प्रोफेसर सौगत रॉय और सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी से सुप्रिया सुले और RJD से एडी सिंह ने हस्ताक्षर किए. लेकिन दिलचस्प बात ये रही कि कि सातवें विपक्षी सांसद मनीष तिवारी ने इस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए.
तिवारी के करीबी सूत्रों के मुताबिक सवाल-जवाब सत्र के दौरान पंजाब से कांग्रेस सांसद ने इस योजना को लेकर सबसे ज्यादा सवाल पूछे. तिवारी कैंप के सूत्र ने कहा कि यह एक सलाहकार बैठक थी. तिवारी ने विपक्ष के पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए, लेकिन उन्होंने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया. वहीं सूत्रों की मानें तो विपक्ष 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के आगामी मानसून सत्र में अग्निपथ योजना के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करना चाहता है.