कोरोना काल के बाद सुपरपॉवर के नाम से जाना जायेगा वैक्सीन इंडिया में जाने क्या कहा डॉ बलराम भागर्व ने ?
आईसीएमआर महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव कहते हैं कि सबसे पहले तो वैक्सीन विकास के अनुभव से हमें इस बात का आत्मविश्वास बढ़ा है कि भारत अब फार्मेसी ऑफ वर्ल्ड से कहीं अधिक वैक्सीन सुपरपॉवर में भी आगे है. महामारी के बुरे दौर के बीच वैक्सीन विकास के अनुभव से प्राप्त आत्मविश्वास से हम आगे भी अन्य बीमारियों के लिए नये वैक्सीन का निर्माण कर सकेंगे.
जनता से रिश्ता वेबडेसक | सवाल: आज भारत में 100 करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार हो गया। कौन से कदम और कौन से निर्णय थे, जिसकी वजह से इस लक्ष्य तक आप इतने कम समय में पहुंच सके?
जवाब: टारगेट, विजन, मिशन, एक्सपीरियंस और अचीवमेंट। इसी को ध्यान में रखकर हमारी टीम ने मेहनत की और आज उपलब्धि हमारे सामने है।
सवाल: आपकी नजर में वह तीन प्रमुख ताकत क्या हैं, जो सवा सौ अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सफलता की ओर बढ़ा।
जवाब: सबसे पहला श्रेय मैं अपने स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर को देता हूं, जिन्होंने अथक प्रयास, मेहनत और समर्पण के साथ ही महामारी के कठिन समय में भी बिना किसी रुकावट के अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर काम किया।
दूसरा, पिछले कई दशकों से नवजात शिशु और माताओं के लिए संचालित किए जाने विश्व के सबसे बड़े नियमित टीकाकरण अभियान की बदौलत हमारी स्वास्थ्य सेवा टीम को टीकाकरण के क्षेत्र में बड़ा अनुभव प्राप्त हुआ। जिसने टीकाकरण के लिए मनोबल को बढ़ाया।
तीसरा, टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार के विभिन्न आयामों के एक समग्र लक्ष्य ने इस यात्रा में सहयोग दिया। सरकार के कई महकमों जैसे नीति आयोग, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, नेगवैग विशेषज्ञ समूह, सुसंगठित समितियां तथा अन्य मंत्रालयों का स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ सहयोग, इन सभी ने एकजुट होकर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
सवाल: सरकार के साथ पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप में भी बड़ी भूमिका अदा की। आप इसको किस नजर से देखते हैं?
जवाब: 100 करोड़ टीकाकरण की इस उपलब्धि को हासिल करने में करने में सरकार की जरुरतों के अनुसार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी) ने निश्चित तौर पर न सिर्फ बेहतरीन काम किया बल्कि सौ करोड़ टीकाकरण में बहुत योगदान भी दिया। चाहे वह कोविन प्लेटफार्म को स्थापित करना हो या प्राथमिकता के आधार पर अलग-अलग आयु वर्ग के समूहों के लोगों का टीकाकरण करना हो, बड़े और व्यापक टीकाकरण अभियान में छोटे निर्णयों को भी ध्यान में रखा गया। जिसके परिणामस्वरूप सौ करोड़ टीकाकरण का मुकाम हासिल किया गया।
सवाल: आईसीएमआर ने भारत बायोटेक के साथ मिलकर पहली बार स्वदेशी वैक्सीन को विकसित किया है। इस सार्वजनिक निजी भागीदारी के क्या महत्वपूर्ण अनुभव रहे?
उत्तर- मुझे ऐसा लगता है कि इस तरह से वैक्सीन को बनाने और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ काम करने से एक दूसरे के प्रति विश्वास और क्षमताओं पर भरोसा पहले से अधिक बढ़ा है। वैक्सीन विकास पर काम करने की शुरुआत के समय से ही हमने (आईसीएमआर-भारत बायोटेक) यह स्पष्ट रूप कर लिया था कि किसी भी तरह के वैज्ञानिक परीक्षण या विकास को एक वैज्ञानिक आधार के साथ किया जाएगा। और किए गए काम के दस्तावेजों को साइंटिफिक जर्नल वैज्ञानिक शोध पत्रिका में प्रकाशित कराया जाएगा। जो हमने किया। वैक्सीन परीक्षणों के इन अध्ययनों में अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की प्रमाणिकता को भी प्रभावी तरीके से शामिल किया गया।
सवाल: जिस तरीके से पीपीपी मॉडल के साथ कोविड वैक्सीन को डिवेलप करने में सफलता हासिल हुई क्या अन्य बीमारियों के लिए भी इस तरीके का प्रयोग किया जाएगा।
जवाब- हां बिल्कुल। इस तरह का मॉडल अन्य बीमारियों के लिए टीके विकसित करने के लिए भी कर सकते हैं। जब जहां जैसी जरूरत होगी, उसके हिसाब से ही आगे की योजनाएं बनेंगी और रूपरेखा तैयार कर हम लोग नए मानदंड स्थापित करते चले जाएंगे। आज जिस तरीके से हम सौ करोड़ लोगों को टीका लगाने वाले देश बन चुके हैं, उससे पूरी दुनिया में हमारी एक अलग ना सिर्फ धाक बनी है बल्कि 'वैक्सीन सुपर पावर कंट्री' के तौर पर भी हमारी पहचान बनी है।
सवाल: आपको क्या लगता है कि इस साल के अंत तक सभी वयस्कों को टीका लगाने के लक्ष्य तक पहुंच सकेंगे?
जवाब: मुझे ऐसा लगता है कि इस समय हम सबसे अधिक तेज गति से वैक्सीन लगाने की एक बेहतर मशीनरी के तहत काम कर रहे हैं। ऐसे में हमारा पूरा महकमा अपने तय टारगेट को पाने में लगा हुआ है और हम तेजी से अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं।