Mutter के बाद अब महंगा आलू-प्याज खरीदने को मजबूर ग्राहक

Update: 2024-06-24 11:19 GMT
Shimla. शिमला. राजधानी में भीषण गर्मी और सूखे की मार अब लोगों की जेब कुतर रही है। भले ही दो दिन से बारिश हो रही है। लेकिन इससे किसानों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाया है। खेतों में ही फसलें सूख जाने के कारण मंडी में कम मात्रा में पहुंच रही सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं और लोगों की थालियों से सब्जियां गायब हो रही हैं, वहीं गृहिणियों के कीचन का बजट भी गड़बड़ाने लगा है। मटर के दाम ही 160 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गए हैं जबकि फ्रांसबीन 80 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गई है। तडक़े के लिए महत्वपूर्ण प्याज के दामों में भी उछाल आ गया है और इनके दाम 50 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गए हैं। बताया जाता है कि सब्जियों की फसल सूखे के कारण खेतों में ही खराब हो गई है। मैदानी इलाकों से खेत साफ होने लगते थे और सब्जियां मंडी पहुंचती थी,। जबकि हिमाचल की फसल भी आना आरंभ हो जाती थी । लेकिन इस बार गर्मी ने सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं और लू की मार झेल रहे लोगों के साथ किसानों की मेहनत पर भी पानी फिर गया है। जिन जगहों पर सिंचाई की व्यवस्था है, वहीं की सब्जियां मार्केट में पहुंच रही हैं, जिससे इनके दाम आसमान छू गए हैं।
पैदावार कम होने से दाम बढ़ गए हैं।
सब्जियों के दामों में उछाल का सबसे ज्यादा असर गरीब तबके पर पड़ रहा है। उनके लिए महंगी सब्जियां खरीदना आसान नहीं हैं। क्योंकि यह उनकी जेब इजाजत नहीं देती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द दाम गिरेंगे। सब्जी मंडी शिमला में सब्जियों के अलावा फलों की भी खूब खरीद होती है और लोग यहां से सब्जियों के साथ फलों की भी खरीददारी करते हैं। सब्जियों के साथ फलों के दामों में भी उछाल आया है। अंगूर 120 रुपए, आम 80 रुपए, पलम 120 रुपए, लीची 100 रुपए, आड़ू 60 रुपए, खरबूजा 40 रुपए, तरबूज 30 रुपए प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है। लोकल सब्जी मंडी के अध्यक्ष विशेश्वर नाथ ने बताया कि सब्जी मंडी शिमला के प्रधान विशेषर नाथ ने कहा कि भीषण गर्मी के कारण खेतों में पड़ी सब्जियों की फसलों को नुक्सान पहुंचा है और जहां पर सिंचाई की व्यवस्था है, वहीं से सब्जियां मंडी पहुंच रही हैं, जिससे इनके दामों में उछाल आया है। लोकल सब्जी मंडी के अध्यक्ष विशेश्वर नाथ ने बताया कि बरसात के बाद ही सब्जियों के दामों में गिरावट आने की संभावना है। अभी लोगों को महंगी सब्जियों की मारी झेलनी पड़ेगी। लोगों की जेबें ढीली होने का सिलसिला जारी है। ग्राहक परेशान हैं।
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