नंदीग्राम में सीएम ममता बनर्जी पीछे, शुभेंदु इतने वोटों से आगे
पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण सीटों में से एक नंदीग्राम में बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी लगातार आगे चल रहे हैं। ममता बनर्जी को पछाड़ते हुए सुवेंदु अधिकारी ने 1500 वोटों की बढ़त बना ली है।
पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल व पुडुचेरी विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला रविवार को होना है. देश के इन पांच राज्यों की 822 विधानसभा सीटों पर मतगणना हो रही है, लेकिन सभी की निगाहें पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट के नतीजे पर है. नंदीग्राम सीट पर शुभेंदु अधिकारी शुरुआती रुझान में आगे चल रहे हैं.
नंदीग्राम सीट पर टीएमसी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. क्या इस सीट का नतीजा बंगाल की सियासी भविष्य तय करेगा?
नंदीग्राम बंगाल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही है, जहां एक अप्रैल को 88 फीसदी मतदान हुआ था. यहां पर टीएमसी प्रमुख मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी से शुभेंदु अधिकारी आमने-सामने हैं. लेफ्ट से मीनाक्षी मुखर्जी मैदान में हैं. इस सीट को जीतने के लिए ममता और शुभेंदु ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. हालांकि, यह सीट लंबे समय तक लेफ्ट के पास रही है, लेकिन नंदीग्राम भूमि आंदोलन के बाद से टीएमसी अपना वर्चस्व बरकरार रखे हुए है. ऐसे में देखना है कि इस बार नंदीग्राम में कमल खिलता है या फिर दीदी का सियासी वर्चस्व कायम रहेगा?
पांच जनवरी 1955 को कोलकाता में जन्मीं ममता बनर्जी अपने संघर्ष, सादगी और 'मां, माटी और मानुष' के नारे के सहारे 2011 में पश्चिम बंगाल में लेफ्ट दुर्ग को ढहा कर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. पांच साल बाद वे पहले से ज्यादा बड़ी ताकत बनकर उभरीं और दूसरी बार सीएम बनीं. तीसरी बार सीएम बनने का सपना लेकर ममता इस बार नंदीग्राम सीट से मैदान में है, जहां उनके ही पूर्व सहयोगी शुभेंदु अधिकारी बीजेपी के टिकट पर कड़ी चुनौती देते नजर आ रहे हैं.
नंदीग्राम सीट एक दौर से लेफ्ट के मजबूत गढ़ हुआ करता था, लेकिन नंदीग्राम के जमीन आंदोलन ने सिर्फ क्षेत्र की नहीं बल्कि प्रदेश की सियासत को ही पूरी तरह से बदलकर रख दिया है. यहां पर टीएमसी का दस साल से कब्जा है, लेकिन बीजेपी के टिकट से शुभेंदु अधिकारी के उतरने से ममता बनर्जी के लिए कड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. हालांकि, ममता बनर्जी ने नंदीग्राम की सियासी जंग फतह करने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी, क्योंकि इसी नंदीग्राम आंदोलन से ममता को सियासी पहचान मिली.
पिछले दशकों की राजनीति में नंदीग्राम आंदोलन को हथियार बना कर ही वर्तमान सीएम ममता बनर्जी ने लेफ्ट को अपदस्थ करने में सफलता पाई थी. 2007 में तात्कालीन सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल की लेफ्ट सरकार ने सलीम ग्रुप को 'स्पेशल इकनॉमिक जोन' नीति के तहत नंदीग्राम में एक केमिकल हब की स्थापना करने की अनुमति प्रदान करने का फैसला किया था.