साहसिक और एतिहासिक कदम: ब्रेन डेड के कारण महिला ने दुनिया को कहा अलविदा, लेकिन 4 लोगों को दे गई ये बड़ा तोहफा

चार लोगों की ज़िंदगी बचा कर एक मिसाल क़ायम की है. उनके इस जज़्बे की जितनी तारीफ़ की जाए कम है. रफ़त के परिवार वालों के इस क़दम की ख़ूब तारीफ़ हो रही है. होनी भी चाहिए. क्योंकि उनका क़दम साहसिक होने के साथ एतिहासिक भी है.

Update: 2020-12-27 06:33 GMT

दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक महिला ने अपनी मौत के साथ ही चार लोगों को जीवन का ऐसा उपहार दिया जिसे वो हमेशा याद रखेंगे. दरअसल 41 साल की महिला रफत परवीन को पिछले हफ्ते ब्रेन हेम्रेज के बाद वैशाली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी लगातार हालत बिगड़ती गई. डॉक्टरों की एक पूरी टीम ने उसे बचाने की काफी कोशिश की लेकिन वो महिला को बचा नहीं पाए और उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक महिला के मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट्स हो जाने की वजह से उसे बचाया नहीं जा सका. इसके बाद मृतक महिला रफत परवीन के परिजनों की सहमति के बाद उसके दिल (हर्ट), गुर्दे (किडनी) और जिगर (लीवर) को ऑपरेशन के जरिए बाहर निकाला गया जिससे चार मरीजों को नया जीवन मिला.
मैक्स अस्पताल के आपरेशनल हेड डॉ गौरव अग्रवाल ने बताया कि परिवार की सहमति मिलने के बाद, उन्होंने तुरंत राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन को सूचित किया, जिसने अंगों को जरूरतमंद मरीज के लिए आवंटित किया.
अलग-अलग टीमों ने रात में ही ऑपरेशन के जरिए अंगों को ब्रेन डेड महिला के शरीर से निकाला और उसे दूसरे मरीज में प्रत्यारोपित किया गया. वहीं हर्ट को एम्बुलेंस के माध्यम से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत में स्थानांतरित किया गया था, जहां मरीज की प्रत्यारोपण सर्जरी की गई. उन्होंने बताया कि हमारे अस्पताल में भर्ती दो जरूरतमंद मरीजों में एक को किडनी और दूसरे मरीज के शरीर में लीवर का प्रत्यारोपण किया गया था.
डॉ गौरव ने बताया कि दूसरी किडनी को एंबुलेंस में सिर्फ 45 मिनट में आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम पहुंचाया गया. मैक्स हेल्थकेयर के अधिकारियों ने कहा कि हर्ट के निर्बाध हस्तांतरण के लिए वैशाली और साकेत अस्पतालों के बीच गाजियाबाद और दिल्ली पुलिस द्वारा एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. शुक्रवार को 1.58 बजे केवल 18 मिनट में 23.8 किमी की दूरी तय की गई थी.
मैक्स साकेत में हार्ट ट्रांसप्लांट और एलवीएडी कार्यक्रम के निदेशक डॉ केवल कृष्ण ने कहा, "हर्ट को उत्तराखंड के 56 वर्षीय एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया है. मरीज के हर्ट ने काम करना बंद कर दिया था. अब ट्रांसप्लांट के बाद मरीज रिकवर कर रहा है.


Tags:    

Similar News

-->