Shimla. शिमला। संजौली में मस्जिद निर्माण से जुड़े मामले पर राज्य सरकार न्यायालय का फैसला आने के बाद नियमों के आधार पर कार्रवाई करेगी। यह बात पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान कही है। उन्होंने कहा कि कहा कि मामले को ओवरटोन का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले में धैर्य के साथ काम लेने की जरूरत है। कांग्रेस ने ही हिमाचल में धर्म परिवर्तन का कानून लाया था। उन्होंने कहा कि यह मामला नगर निगम शिमला में 2010 में आया था और अब मामला विचाराधीन है। प्रतिवादी के नक्शे में त्रुटि पाई गई। चार मंजिल का निर्माण 2018 से पहले कर दिया गया था। बाद में यह सामने आया कि प्रतिवादी वक्फ बोर्ड का सदस्य नहीं हैं। इसके बाद वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किया गया। संजौली में अवैध निर्माण पाया जाता है ,तो नियमों के तहत कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि मलयाणा में मारपीट का मामला गृह विभाग से जुड़ा हुआ है। इस मारपीट में छह युवक शामिल थे और इनमें से दो नाबालिग भी हैं। इससे पूर्व विधायक बलवीर वर्मा ने नियम-62 के तहत इस मामले को सदन में चर्चा के लिए रखा। बलवीर वर्मा ने कहा कि संजौली में मस्जिद का निर्माण ऐसी जगह हुआ जहां आसपास अन्य धार्मिक स्थल भी हैं। बहुत से शैक्षणिक संस्थान और ट्यूशन सेंटर भी आसपास हैं।
उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत एक ही धर्म के हैं। मस्जिद में 500 से ज्यादा लोग एकत्र होते हैं। निर्माण बारे पर ले भी नोटिस किए गए, लेकिन निर्माण को तोड़ा नहीं गया है। विधायक हरीश जनार्था ने कहा कि झगड़ा किसी दूसरे विधानसभा क्षेत्र में हुआ और प्रदर्शन उनके विधानसभा क्षेत्र में। इस प्रदर्शन की उन्हें कोई जानकारी तक नहीं दी गई। दूसरे विधानसभा क्षेत्र से आकर प्रदर्शन करने से पहले इसकी जानकारी उन्हें होनी जरूरी थी। हरीश जनार्था ने कहा कि शिमला आने वाले हर बाहरी आदमी का पंजीकरण किया जा रहा है। शिमला शहर में 190 लोग पंजीकृत हैं। इनमें कश्मीर और नेपाल से आए लोग भी शामिल हैं। संजौली विवाद पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और उस पर कार्रवाई की जा रही है। मामले की जांच की गई है। मस्जिद वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है। पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि मलियाना में लड़ाई पर छह लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई। झगड़े में शामिल सभी मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे। बांग्लादेश से लोग हिमाचल आ रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। 190 लोगों की बैरिफिकेशन की जाए और बाकी लोग बाहर होने चाहिए। प्रशासन से मंजूरी ली गई या नहीं। यह देखने की जरूरत है। 2010 में निर्माण शुरू हुआ और विचाराधीन होने के बावजूद निर्माण जारी रहा। 2019 में चार अतिरिक्त मंजिल बनकर तैयार हो गई, जबकि 2023 में यह पता चला कि जमीन का मालिकाना हक प्रतिवादी का नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड का है।