ऐसा सिस्टम जिसमें तेजस से निकलेंगे 20 ड्रोन...दुश्मनो पर होगा निशाना
इस साल 15 जनवरी को इंडियन आर्मी डे पर परेड के बाद इसका प्रदर्शन किया गया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: बेंगलुरू: इस साल 15 जनवरी को इंडियन आर्मी डे पर परेड के बाद इसका प्रदर्शन किया गया कि किस तरह कई ड्रोन मिलकर अलग अलग टारगेट को निशाना बनाकर मिशन को अंजाम दे सकते हैं। इस तरह के स्वॉर्मिंग अटैक को भविष्य के युद्ध के लिए बेहद अहम बताया जा रहा है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस तरह के ड्रोन और कैट्स (कॉम्बेट एयर टीम सिस्टम) तैयार कर रहा है। इसमें तेजस फाइटर जेट 20 ड्रोन को रिलीज कर सकता है और ये ड्रोन दुश्मन को निशाना बनाकर सुरक्षित वापस आ सकते हैं।
ड्रोन सारा रिस्की काम करेगा
एचएएल के कैट्स प्रोजेक्ट के इंचार्ज ग्रुप कैप्टन एच.वी.ठाकुर (रिटायर्ड) ने बताया कि जब भी एयर अटैक होता है तो फाइटर जेट एक टीम में जाते हैं। हमने कॉम्बेट एयर टीम सिस्टम में फाइटर जेट के साथ ड्रोन की टीम बनाई है। यानी फाइटर जेट जिसे पायलट उड़ा रहे हैं और उसके साथ अनमैन्ड एयरक्राफ्ट मतलब ड्रोन। ड्रोन सारा रिस्की काम करेगा और फाइटर जेट का पायलट उन्हें कमांड देगा या कंट्रोल करेगा। तीन तरह के ड्रोन बनाए हैं।
पहला है कैट्स वॉरियर
यह एलसीए तेजस के साथ उड़ान भरेगा और उसके आगे उड़ेगा। रिस्की मिशन यह पूरा करेगा। जब कैट्स वॉरियर अपने रिलीज पॉइंट पर पहुंचेगा तो इसके अंदर जो बॉम है वह ये रिलीज करेगा जो आगे 100 किलोमीटर दूर टारगेट को निशाना बना सकता है। यह हवा से हवा में मार करेगा। इसमें ऐसा फीचर हैं जिससे दुश्मन का रडार इसे पकड़ नहीं पाएगा।
दूसरा ड्रोन जो एचएएल ने बनाया है वह है कैट्स हंटर
यह तेजस के विंग के नीचे लगा होगा। यह भी कैट्स वॉरियर की तरह ही मिशन को अंजाम देगा लेकिन यह वॉरियर से साइज में थोड़ा छोटा है। वॉरियर करीब डेढ़ टन का है और हंटर करीब 650 किलो का। तेजस जब लॉन्च पॉइंट पर पहुंचेगा और वहां से हंटर को लॉन्च करेगा। हंटर को लॉन्च करते ही इसका इंजन स्टार्ट होगा और यह अपना मिशन पूरा करके वापस अपने बेस पर चला जाएगा। जहां इसका पैराशूट खुलेगा और यह आराम से लैंड हो सकेगा।
तीसरा ड्रोन है कैट्स अल्फा
यह स्वॉर्मिंग अटैक ड्रोन है। इसमें एक कैरियर के अंदर चार अल्फा ड्रोन हैं। तेजस फाइटर जेट इस कैरियर को ड्रॉप करेगा और जब कैरियर नीचे आएगा तो इससे ड्रोन निकलेंगे। यह ड्रोन चार-चार के पैक में रहेंगे। तेजस इस तरह के करीब 20 ड्रोन कैरी कर सकता है। अगर सुखोई-30 की तरह कोई बड़ा फाइटर जेट है तो वह 40 ड्रोन कैरी कर सकता है। कैरियर से ड्रोन जब निकलेंगे तो यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपने अपने टारगेट तक पहुंचेंगे और उन्हें निशाना बनाएंगे। बीच में जो ड्रोन रहेगा यह कॉर्डिनेशन का काम करेगा क्योंकि बाकी ड्रोन के बीच की दूरी काफी ज्यादा होगी। यह ड्रोन तेजस को (या दूसरे एयरक्राफ्ट को जिससे ड्रोन रिलीज किए हैं) सारा डेटा भेजता रहेगा, जिसमें टारगेट एरिया में क्या हो रहा है वह सब शामिल होगा। यह वहां की फोटो भी भेजता रहेगा।
पूरा होने में करीब चार साल
तेजस में आगे पायलट होगा और पीछे उसका वेपन सिस्टम ऑपरेटर। वेपन सिस्टम ऑपरेटर के पास एक बड़ा डिस्प्ले होगा जिसमें वह सारी स्थिति पर नजर रख सकेगा। वह जरूरत पड़ने पर इन ड्रोन को डायरेक्ट भी कर सकेगा। स्वॉर्मिंग अटैक में अलग अलग ड्रोन मिलकर एक मिशन को पूरा करते हैं। एचएएल के सीएमडी आर. माधवन ने कहा कि यह नया सिस्टम है इसे हम डिवेलप कर रहे हैं। यह अभी शुरूआती फेज में है और इसे पूरा होने में करीब चार साल लगेंगे।