फर्जी कोर्ट चला रहा था शख्स, प्रशासनिक अमले की उड़ी नींद

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Update: 2024-10-22 02:14 GMT

गुजरात। गांधीनगर में एक व्यक्ति द्वारा अपने ऑफिस में फर्जी अदालत खोलकर जज की तरह आदेश पारित करने का मामला सामने आया है। इसका खुलासा होने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

गुजरात पुलिस ने सोमवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गांधीनगर में एक व्यक्ति ने अपने ऑफिस में फर्जी न्यायाधिकरण (Tribunal) स्थापित कर लिया। साथ ही खुद को उसका जज पेश कर वास्तविक अदालत जैसा माहौल बनाते हुए आदेश भी पारित कर दिए।

पुलिस ने बताया कि आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने 2019 में सरकारी जमीन से जुड़े एक मामले में अपने मुवक्किल के पक्ष में आदेश पारित किया था। पुलिस का कहना है कि यह इस बात संकेत है कि यह फर्जी अदालत कम से कम पिछले पांच साल से चल रही थी।एक सरकारी बयान के अनुसार, अहमदाबाद पुलिस ने मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन को कथित रूप से एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण (Arbitral Tribunal) के जज के रूप में खुद को पेश करने और अनुकूल आदेश पारित करके लोगों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। क्रिश्चियन ने ऐसा करने के लिए दावा किया था कि कानूनी विवादों का निपटारा करने के लिए एक सक्षम अदालत ने उसे मध्यस्थ (Arbitrator) नियुक्त किया है।

अहमदाबाद शहर के सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा करंज थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद इस शातिर ठग के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसकी फर्जी अदालत का भंडाफोड़ हुआ। बयान के मुताबिक, मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 170 और 419 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि क्रिश्चियन उन लोगों को फंसाता था जिनके भूमि विवाद से संबंधित मामले शहर के सिविल कोर्ट में लंबित थे। वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस के रूप में एक निश्चित रकम लेता था। पुलिस के अनुसार, क्रिश्चियन पहले खुद को अदालत द्वारा नियुक्त एक आधिकारिक मध्यस्थ के रूप में स्थापित करता था फिर अपने मुवक्किलों को गांधीनगर स्थित अपने दफ्तर में बुलाता था। इस दफ्तर को उसने एकदम अदालत की तरह बनाया हुआ था, जहां वह न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में आदेश पारित करता था।


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