एक पार्टी बनी पुलिस अधिकारियों के लिए जी का जंजाल, पुलिसकर्मी ने अपने ही साथियों के खिलाफ कराई FIR, जाने पूरा मामला

पुलिस के अधिकारी मान रहे हैं कि विभागीय कार्यवाही से बचने के लिए पेशबंदी में मुकदमा लिखवाया गया है.

Update: 2021-03-18 08:44 GMT

उत्तर प्रदेश के बरेली में लॉकडाउन के दौरान पुलिस वालों ने अपने एक साथी के लिए बर्थ-डे पार्टी आयोजित की थी. अब वह बर्थ-डे पार्टी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए जी का जंजाल बन गई है. बरेली में एक पुलिस सब इंस्पेक्टर ने सीओ और इंस्पेक्टर सहित चार पुलिस वालों पर कोर्ट के आदेश से षड्यंत्र और जानलेवा हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई है.

दरअसल, लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर मनाई जा रही उस बर्थ-डे पार्टी में गोली चलने से एक दारोगा घायल हो गया था. उस वक्त पार्टी में मौजूद पुलिस इंस्पेक्टर ने घायल दारोगा के खिलाफ शराब पीकर थाने में तोड़फोड़ और हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.आरोप था कि शराब पीकर हंगामे के दौरान दारोगा के खुद के ही रिवॉल्वर से गोली चली थी जो उसे ही लग गई थी और वह घायल हो गया था.
उस वक्त इस पूरे घटनाक्रम की जांच सीओ अशोक कुमार ने की थी. जांच के बाद घायल दारोगा को सस्पेंड कर दिया गया था. उस घटना के बाद से दारोगा सस्पेंड ही है. अब कई महीने बाद निलंबित चल रहे दारोगा ने अपने ऊपर मुकदमा लिखवाने वाले तत्कालीन इंस्पेक्टर और घटना की जांच करने वाले सीओ के खिलाफ कोर्ट में गुहार लगाकर मुकदमा लिखवाया है.
पुलिस के अधिकारी मान रहे हैं कि विभागीय कार्यवाही से बचने के लिए पेशबंदी में मुकदमा लिखवाया गया है. एक निलंबित पुलिस अधिकारी द्वारा अपने साथी पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा करवाने का यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. निलंबित दारोगा ने अपनी एफआईआर में कहा है कि वह सब इंस्पेक्टर के पद पर बरेली के कैंट थाने में तैनात था. जहां उसे काफी प्रताड़ित किया जाता था जिससे परेशान होकर उसने अपना रिजाइन भी शासन को भेज दिया था, जिसकी जांच चल रही है.
एफआईआर में निलंबित दारोगा ने बर्थ-डे पार्टी को लेकर कहा गया है कि 17 सितंबर को क्षेत्राधिकारी और प्रभारी निरीक्षक ने उसे मारने की नीयत से साजिश रचते हुए जन्मदिन पार्टी का आयोजन कराया था. पार्टी में 150 से ज्यादा लोग थे. पार्टी में डीजे पर डांस करते समय उसके सहयोगियों ने उसकी सरकारी रिवॉल्वर छीन ली थी और जान से मारने की नीयत से गोली मरवा दी थी.
निलंबित दारोगा ने अपनी एफआईआर में आगे कहा है कि उसी बीच लोगों ने जबरन उसका मोबाइल छीन लिया ताकि उसका डेटा और अन्य सबूत मिटा दिए जाएं. दारोगा का दावा है कि उसकी हालत गंभीर होने के बाद भी उसे अस्पताल ले जाने के बजाय कैंट थाना ले जाया गया. जिसके बाद वहां एक फर्जी मुकदमा लिखा गया और फिर श्री सिद्धि विनायक अस्पताल लेकर गए. बाद में 18 सितंबर को उसे श्रीराममूर्ति अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. जहां से उसके परिजनों ने बेहतर इलाज के लिए अपने गृह जनपद के लिए रेफर करा लिया था.
बरेली एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने इस मामले पर बात करते हुए कहा कि सीजीएम कोर्ट से 156 (3) सीआरपीसी के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया है. एक सब इंस्पेक्टर के द्वारा वहीं पर तहरीर दी गई थी. जिसके बाद पुलिस द्वारा मुकदमा पंजीकृत किया गया है. इस केस में जो वादी बने हैं उनके खिलाफ एक मुकदमा 409 आईपीसी के अंतर्गत पूर्व में थाना प्रेम नगर में और एक मुकदमा कैंट में दर्ज है. इसके साथ ही एसएसपी ने कहा कि वादी और प्रतिवादी दोनों ही पुलिस विभाग से संबंधित हैं.
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