ऊना। एक हंसते-खेलते परिवार पर कैसे दुखों का पहाड़ा टूट पड़ता है यह एक बार फिर से सामने आया है। अरनियाला गांव का एक परिवार इन परिस्थितियों में आ गया है कि 2 नन्हे बच्चों की मां बीमार हो गई। इसी वर्ष मई माह में पीजीआई में उसको पेट की टीबी बीमारी होने का पता चला, जिसके बाद उसका उपचार शुरू हुआ लेकिन शुक्रवार 29 सितम्बर को उसकी मौत हो गई। वीरवार को संस्था देवभूमि फाऊंडेशन की मदद से महिला को मोहाली के निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया था।
अब रिश्तेदारों पर बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी
बच्चों का पिता विदेश में कार्यरत है और उसका कामधंधा भी मंदा चल रहा है। कुछ दिनों की छुट्टी पर विदेश से आकर पत्नी का उपचार करवाया लेकिन बात नहीं बनी। परिवार की जमापूंजी इलाज में लग गई। रिश्तेदारों और परिचितों से कर्जे लेकर इलाज करवाया लेकिन पूरा इलाज नहीं हो पाया। अपनी मां की स्थिति को देखकर बच्चे बुरी तरह से बिलखते रहे तो बच्चों के लिए कुछ न कर पाने की कसक में मां भी बिलखती रही। मां की मौत के बाद अब रिश्तेदारों पर बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी आ पहुंची है जबकि पिता अभी विदेश में है। अब दोनों बच्चे रोते-बिलखते रह गए हैं।
हंसता-खेलता परिवार और मां हो गई बीमार
अरनियाला में रहने वाली जसविन्द्र कौर कुछ समय पहले तक अपने पति और बेटी व बेटे के साथ खुशी से जीवन यापन कर रही थी। जसविन्द्र पूरी तरह से स्वस्थ थी। उसके पति देसराज नीरू ने विदेश में कमाने की इच्छा व्यक्त की तो जसविन्द्र ने अपने गहने बेचकर उसको विदेश भेज दिया। बच्चे भी अच्छे निजी स्कूल में पढ़ते रहे। इसी बीच जसविन्द्र की सेहत खराब हो गई और उसको उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया।
लाखों रुपए हुए खर्च, कर्जे में डूबा परिवार
इसके बाद उपचार शुरू हुआ तो हालत बिगड़ने पर पीजीआई चंडीगढ़ का रुख किया गया। उसके चिकित्सीय परीक्षणों में उसको क्षय रोग (टीबी) निकला। यहां जसविन्द्र का उपचार शुरू हुआ तो इस अस्पताल पर मरीजों का भारी भरकम बोझ और चिकित्सीय सुविधाएं मिलने में लम्बी पड़ती तारीखों के बीच जसविन्द्र की हालत और खराब हो गई।
ऐसे में उसको मोहाली के एक निजी अस्पताल में पहुंचाया गया जहां उसको एडमिट करने से पहले ही लाखों रुपए जमा करवा लिए गए। इसके बाद काफी इलाज चला और यह परिवार पूरी तरह से खाली हो गया। कर्जे में डूबे परिवार को जसविन्द्र को वापस लाना पड़ा। इस लम्बे उपचार के बीच जसविन्द्र का पति नीरू एक माह की छुट्टी लेकर आया लेकिन कमाई का और कोई जरिया न होना और कर्जे में परिवार के डूब जाने के चलते उसे वापस लौटना पड़ा। इस परिवार के पास उपचार करवाने के लिए पैसे तक नहीं बचे।