महेंद्र सिंह धोनी की समझदारी से टला था बड़ा हादसा, डेंजर एरिया से सभी खिलाड़ी सुरक्षित निकले

Update: 2022-07-07 05:09 GMT

17 मार्च 2017. विजय हजारे ट्रॉफी चल रही थी, दिल्ली में झारखंड की टीम का मैच होने वाला था. सभी खिलाड़ी दिल्ली के द्वारका इलाके में मौजूद फाइव स्टार होटल ITC वेलकम में रुके हुए थे. मैच में अभी वक्त था और खिलाड़ी होटल एरिया में ही नाश्ता कर रहे थे, तभी एक हादसा हुआ. होटल के एक एरिया से धुआं उठने लगा. मालूम पड़ा कि बहुत तेज़ आग लग गई है. हर कोई हड़बड़ा गया, होटल में हड़बड़ी जैसा माहौल था. खिलाड़ी भी पैनिक मोड में आ गए, हर कोई इधर-उधर भागने की तैयारी में था. लेकिन झारखंड टीम में मौजूद एक खिलाड़ी ने समझदारी दिखाई और सभी को शांत रहने को कहा.

खिलाड़ी का मैसेज यही था कि अपने फोन और सामान की चिंता ना करें, आराम से बिना हड़बड़ाए बाहर निकलने की कोशिश करें. फिर उस खिलाड़ी ने एक-एक कर सभी को बाहर निकालने में मदद की. कुछ देर में सभी खिलाड़ी डेंजर एरिया से बाहर आ गए, होटल में आग बुझने का काम भी जारी था. खिलाड़ी का नाम था महेंद्र सिंह धोनी. जो 2017 में विजय हजारे ट्रॉफी खेलने के लिए युवा खिलाड़ियों के साथ मौजूद था. यहां कैप्टन कूल का क्रिकेट वाला दिमाग नहीं बल्कि फौजी दिमाग काम कर रहा था. लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धोनी, जो टेरिटोरियल आर्मी की 106 पैराशूट रेजिमेंट की ट्रेनिंग ले चुके थे.

हालांकि खिलाड़ी मैच नहीं खेल पाए. क्योंकि सभी की किट होटल में थी और ऐसे में मैच को टाल दिया गया. इस घटना के कुछ दिन बाद महेंद्र सिंह धोनी अपने दोस्त वेम्बू शंकर से मिले. महेंद्र सिंह धोनी का आर्मी के प्रति लगाव शुरुआत से ही रहा, ऐसे में कर्नल के साथ दोस्ती उन्हें पसंद आई. वह लगातार उनसे काफी चीज़ें सीखते, जब उन्हें सेना में मानद उपाधि मिली तब भी वह ट्रेनिंग, मिशन और बाकी चीज़ों को समझने में कर्नल की मदद लेते.

दिल्ली के होटल की घटना को महेंद्र सिंह धोनी ने बड़े ही गर्व के साथ अपने दोस्त कर्नल शंकर को बताया. क्योंकि फौजी धोनी के लिए ये काफी बड़ी चीज़ थी, क्योंकि उन्होंने एक रियल लाइफ सिचुएशन में कुछ ऐसा किया था जो शायद एक फौजी करता. कर्नल शंकर ही बताते हैं कि जब धोनी और उनके साथी आग वाली जगह से निकलने के लिए बेसमेंट पहुंचे, तब वहां पर सिग्नल नहीं आ रहे थे. वहां किसी ने पूछा कि अब यहां से बाहर कैसे निकलेंगे, तब एमएस धोनी के दिमाग ने काम किया और लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला गया. कर्नल शंकर बताते हैं कि एमएस धोनी दिल और दिमाग दोनों से फौजी हैं, वह फौज में होते तो एक बेहतरीन लीडर साबित होते. क्योंकि इस तरह की सोच और जल्द सही फैसले लेने की काबिलियत उन्हें एक बेहतरीन ऑपरेशन लीडर बनाती जो सेना में काफी अहम होता है.

महेंद्र सिंह धोनी से जुड़े इस किस्से का ज़िक्र क्रिकेट जर्नलिस्ट भरत सुंदरसन की किताब द धोनी टच में किया गया है. भारत को तीन आईसीसी ट्रॉफी और ना जाने कितने मैच जिताने वाले महेंद्र सिंह धोनी 7 जुलाई को अपना जन्मदिन मना रहे हैं.

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