अलग खबर: बिहार और यूपी के बीच 7 गांवों की अदला-बदली का होगा समझौता, जानिए क्यों होगा ऐसा

Update: 2021-11-27 05:01 GMT

नई दिल्ली: बिहार और यूपी के बीच सात-सात गांवों की अदला-बदली होगी। यूपी के कुशीनगर जिले के सात गांव बगहा के होंगे, जबकि बगहा के सात गांव यूपी के कहलाएंगे। इसको लेकर सहमति बनने के बाद दोनों राज्य केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज रहे हैं। केंद्र सरकार का अनुमोदन मिलते ही गांवों की अदला-बदली की प्रकिया पूरी हो जाएगी। तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त ने इसको लेकर डीएम कुंदन कुमार को पत्र भेज कर यूपी की सीमा से सटे बिहार के सात गांवों का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है।

आयुक्त ने अपने पत्र में कहा है कि गंडक पार के पिपरासी प्रखंड का बैरी स्थान, मंझरिया, मझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनहा, भैसही व कतकी गांव में जाने के लिए प्रशासन सहित ग्रामीणों को यूपी होकर आना-जाना पड़ता है। यूपी के रास्ते इस गांवों में जाने से प्रशासनिक परेशानी होती है। साथ ही समय भी अधिक लगता है। इससे विकास योजनाओं के संचालन में प्रशासनिक अधिकारियों को परेशानी होती है। यहां के लोगों को प्राकृतिक आपदा के वक्त राहत पहुंचाने में देरी होती है।
यही हाल यूपी के कुशीनगर जिले के मरछहवा, नरसिंहपुर, शिवपुर, बालगोविंद, बसंतपुर, हरिहरपुर व नरैनापुर गांव का है। ये गांव बिहार के बगहा पुलिस जिले से सटे हैं। यहां यूपी प्रशासन को जाने के लिए नेपाल और बिहार की सीमा से होकर जाना पड़ता है। यूपी प्रशासन को इन गांवों में पहुंचने के लिए 20 से 25 किलोमीटर की अतरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। दोनों राज्यों के गांवों की अदला-बदली होने पर विकास के साथ आवागमन का मार्ग भी प्रशस्त होगा। आयुक्त ने इसको लेकर डीएम को भूमि का प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा है। ताकि प्रस्ताव के अनुमोदन को लेकर भारत सरकार को भेजा जा सके।
दोनो राज्यों के बीच गांवों की अदला-बदली से सीमा विवाद खत्म होगा। इससे भूमि विवाद के मामले भी खत्म हो जाएंगे। किसानों को खेती-बाड़ी में सहूलियत होगी। गौरतलब है कि बगहा अनुमंडल के नौरंगिया थाने के मिश्रौलिया मौजा के किसान विगत कुछ वर्षों से भूमि के सीमांकन को लेकर आमने सामने हो जा रहे हैं। साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी सीमा को लेकर कई बार मापी करवाई की जा चुकी है। प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ से सीमांकन खत्म हो जाता है। इसके बाद किसानों के बीच भूमि विवाद शुरू हो जाता है।
यूपी व बिहार के दर्जनभर गांव एक-दूसरे की सीमा से सटे हैं। इन गांवों में आने-जाने के लिए एक-दूसरे के राज्यों से होकर ही जाया जा सकता है। बाढ़ व अन्य आपदा के समय लोगों तक राहत पहुंचाने में दोनों ही राज्यों की सरकार व प्रशासन को परेशानी होती है।
पश्चिमी चम्पारण के सीओ बगहा-2 राजीव रंजन श्रीवास्तव ने कहा, 'आयुक्त व जिलाधिकारी के पत्र पर प्रस्तावित गांवों का सीमांकन कराया जा रहा है। जल्द ही अदला-बदली के लिए गांवों का प्रस्ताव तैयार कर जिलाधिकारी को भेज दिया जाएगा।
यूपी और बिहार की सीमा से सटे गांवों की अदला-बदली से ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। उनका कहना है कि ऐसा हुआ तो गांव के विकास का रास्ते खुल जाएंगे। प्रखंड व जिला मुख्यालय जाने के लिए 25 से 30 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। बेहतर कनेक्टिविटी के साथ क्षेत्र का सामाजिक व आर्थिक विकास भी होगा। किसानों को भी खेतीबाड़ी में सहूलियत होगी।
बिहार के नौरंगिया के पास बालगोविंद और मरछहवा में किसानों के बीच उत्पन्न विवाद पर विराम लगेगा। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद भी समाप्त हो जाएगा। बिहार के श्रीपतनगर के सुदामा कुशवाहा, राधेश्याम बैठा, रूदल यादव, हरीलाल बीन, महंत बीन, शंकर राम, सुखल राम आदि का कहना है कि हमलोग गांवों की अदला-बदली होने का इंतजार कर रहे हैं। इससे हमें कई तरह की सहूलियत होगी। हमें अनुमंडल व जिला मुख्यालय आने में जाने के लिए यूपी के रास्ते अपने ही राज्य की सीमा में प्रवेश करना पड़ता है। अतिरिक्त दूरी तय करने के साथ अवागमन में परेशानी होगी है। यूपी के कुशीनगर में जुड़ने के बाद हमलोगों की कनेक्टिविटी सीधे-सीधे जुड़ जाएगी। राज्य में चलने वाली योजनाओं का लाभ भी सीधा हमलोगों के दरवाजे पर पहुंचेगा।
यूपी के बालगोविंद, मरछहवा आदि के किसान सतीश सिंह, रूदल चौधरी, मदन प्रसाद आदि का कहना है कि हमें खेती करने के लिए बिहार के रास्ते अपने प्रदेश यूपी में आना पड़ता है। इसमें समय अधिक लगता है और खेती-बाड़ी प्रभावित हो जाती है। अवागमन का साधन नहीं होने के कारण हमलोग ज्यादा खेतों में नहीं जा पाते हैं। इससे बिहार के किसानों के द्वारा हमलोगों की खेती योग्य भूमि का अतिक्रमण कर लिया जाता है। इसे वापल लेने के लिए कई बार हिंसक झड़प तक हो जाती है। गांवों की अदला-बदली से इसके समस्या के समाधान के साथ बाढ़ व अन्य आपदा में प्रशासन से हमलोगों को मदद मिलेगी। अधिकारी समय से योजनाओं को लागू करवा सकेंगे। इससे दोनों राज्यों के लोगों को बड़ा फायदा होगा।
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