शौचालय में 7 फुट का मगरमच्छ घुसा, गांव में दहशत

सफलतापूर्वक वापस जंगल में छोड़ दिया गया।

Update: 2023-04-11 03:18 GMT

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आगरा (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के नगला पासी गांव में घूमते पाए गए सात फुट के मगरमच्छ को वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग ने बचाया। करीब दो घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मगरमच्छ को सफलतापूर्वक वापस जंगल में छोड़ दिया गया।
फिरोजाबाद जिले के एक गांव में रविवार की सुबह तब हलचल मच गई, जब एक इमारत के शौचालय के अंदर करीब सात फीट लंबा एक बड़ा मगरमच्छ देखकर लोग चौंक गए। उन्होंने तुरंत मदद के लिए वन विभाग को फोन किया, जिसने बचाव अभियान में सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस को सूचित किया।
एनजीओ की चार सदस्यीय टीम आवश्यक बचाव उपकरणों के साथ घटनास्थल पर पहुंची। सावधानी बरतते हुए बचाव दल ने मगरमच्छ को एक पिंजरे में फंसा लिया और लंबे ऑपरेशन के बाद मगरमच्छ को शौचालय से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
पूछताछ करने पर पता चला कि मगरमच्छ पास के एक तालाब से इमारत के अंदर घुस आया था। वाइल्डलाइफ एसओएस रेस्क्यू टीम ने आखिरकार मगरमच्छ को एक उपयुक्त प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया।
जसराना के रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर सुरेंद्र कुमार सास्वतने कहा, एक बार जब हमें इमारत के मालिक का फोन आया, तो हम तुरंत अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे। हमने वाइल्डलाइफ एसओएस को भी सूचित किया, जिसने जानवर को बचाने में बहुत अच्छा काम किया। हमने मगरमच्छ को एक जलाशय में छोड़ा।
वन्यजीव एसओएस के संरक्षण परियोजनाओं के निदेशक बैजू राज एम.वी ने कहा, यह एक महीने में एक ही क्षेत्र से दूसरे मगरमच्छ को बचाया गया है। पास में गंग नहर होने के कारण मगरमच्छ कभी-कभी नहर से निकलकर भटक जाते हैं और बस्ती में प्रवेश कर जाते हैं। लेकिन प्रमुख श्रेय स्थानीय लोगों को जाता है जिन्होंने अधिकारियों को सूचित करके सही कदम उठाया।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, मगरमच्छ शक्तिशाली जानवर है और जगह की कमी के कारण उसे शौचालय से निकालना बेहद जोखिम भरा काम था। लेकिन हमारे बचावकर्ताओं के पास ऐसी नाजुक स्थितियों से निपटने का वर्षो का अनुभव है। हमारा उद्देश्य लोगों को उन कारणों से अवगत कराकर संघर्ष को कम करना है जो मगरमच्छों को मानव निर्मित आवासों में जाने के लिए मजबूर करते हैं, और उन्हें इन सरीसृपों के व्यवहार को समझने में मदद करते हैं। किसी भी प्रकार के मानव-पशु संघर्ष से बचने के लिए ये कदम अपरिहार्य हैं।
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